जयपुर। कैलाश मानसरोवर की यात्रा पांच वर्ष बाद फिर शुरू होने जा रही है। इस बार देश भर से 750 श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पंजीकरण कराया है। इसमें कुछ यात्री राजस्थान के भी है। 15 जून को गाजियाबाद से 50 श्रद्धालुओं का पहला समूह सिक्किम के लिए रवाना किया जाएगा। यात्रा का समापन 25 अगस्त को होगा।
केन्द्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार को यात्रा से जुड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। राज्य सरकार के निर्देश पर उप्र राज्य पर्यटन विकास निगम (यूपीएसटीडीसी) ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। यात्रा के लिए जाते समय श्रद्धालुओं को गाजियाबाद के इंदिरापुरम में स्थित कैलाश मानसरोवर यात्रा भवन में चार दिन और वापसी में एक दिन ठहराया जाएगा।
कोविड महामारी और भारत-चीन सीमा विवाद के कारण पांच वर्ष पहले यात्रा रोक दी गई थी। उसके बाद अब इस यात्रा को दोबारा शुरू किया जा रहा है। कैलाश मानसरोवर चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित है। श्रद्धालुओं के पंजीकरण के बाद गाजियाबाद के इंदिरापुरम में स्थित कैलाश मानसरोवर यात्रा भवन में यात्रा शुरू होने से पहले चार दिन ठहराया जाएगा।
इसी दौरान श्रद्धालुओं का मेडिकल, वीजा का कार्य भारत सरकार द्वारा कराया जाएगा। साथ ही आइटीबीपी के जवान एक दिन प्रशिक्षण देंगे। यात्रा से वापस आने पर श्रद्धालुओं को एक दिन और इंदिरापुरम में रोका जाएगा। यूपी सरकार ने श्रद्धालुओं को ठहराने एवं अन्य इंतजाम के लिए 1.35 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत कर दी है।
सिक्किम के रास्ते यात्रा की शुरुआत
यात्रा की शुरुआत सिक्किम से की जाएगी। गाजियाबाद से पहले 50-50 श्रद्धालुओं के चार समूह को सिक्किम से नाथुला दर्रा के रास्ते भेजा जाएगा। गाजियाबाद से उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा के रास्ते से जाने वाले श्रद्धालुओं के पहले समूह को गाजियाबाद से चार जुलाई को भेजा जाएगा। 500 श्रद्धालुओं को सिक्किम के रास्ते और 250 को उत्तराखंड के रास्ते भेजा जाएगा।
उत्तराखंड के रास्ते से कम खर्च
उत्तराखंड के रास्ते से जाने वाले श्रद्धालुओं को करीब 1.75 लाख से दो लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं, सिक्किम के रास्ते से 2.75 लाख से तीन लाख खर्च करने पड़ते हैं। उम्र के मूल निवासियों को यात्रा की प्रतिपूर्ति के रूप में सरकार एक लाख की आर्थिक मदद करती है। इसके लिए बैंक खाते का विवरण, पैन कार्ड आधार कार्ड और यात्रा को पूर्ण करने का प्रमाण धर्मार्थ कार्य विभाग को सौंपना पड़ता है।