विश्व पर्यावरण दिवस: नाटक ने छोड़ा सवाल, जरा सोचो…कहां जाएगा पेडु?

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जयपुर। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जवाहर कला केन्द्र में बुधवार को खास नाट्य प्रस्तुति ‘कहां जाएं पेडु’ का मंचन किया गया। केन्द्र में जारी जूनियर समर कैंप के रंगमंच प्रशिक्षकों ने यह नाटक तैयार किया। सभी 20 प्रशिक्षकों ने मंच पर पेड़ों की दुख भरी दास्तान को बयां किया। हास्य और व्यंग्य से भरे इस नाटक ने बच्चों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस दौरान केन्द्र की अति महानिदेशक सुश्री प्रियंका जोधावत, वरिष्ठ लेखाधिकारी चेतन कुमार शर्मा, नाट्य निर्देशक चंद्र दीप सिंह हाड़ा व अन्य अधिकारीगण और बच्चे मौजूद रहे।

पेडु यहाँ नाम है एक फलदार पेड़ का। पेडु इस दुनिया में अपनी जगह की तलाश में है। वह जहां खड़ा है वहां से सैकड़ों गाड़ियां गुजरती है। इनसे निकले धुएँ से पेडु की सांस उखड़ने लगती है। पेडु यहाँ से दूसरी जगह चला जाता है। यहाँ सड़क चौड़ी करने के नाम पर उसे भगा दिया जाता है। एक सफाई कर्मी को धूप में काम करता देख पेडु उसे छाया देने लगता है। कार्मिक पेड़ से गिरे पत्ते देखकर नाराज हो जाता है और उसे वहां से भगा दिया जाता है।

इसी तरह पेडु अलग-अलग जगह जाता है पर हर जगह इंसानी हस्तक्षेप से वह उक्ता जाता है। अंत में वह इंसानों को देखकर डरने लगता है। पर्यावरण प्रेमी उसे भरोसा दिलाते हैं कि उसके साथ कुछ गलत नहीं होगा तब वह खुशी खुशी वहां रुकता है और लोगों को राहत देता है।

इन्होंने दी प्रस्तुति

मुख्य प्रशिक्षक राजु कुमार, विशाल भट्ट, गौरव कुमार, पूजा शाह, चिन्मय मदान, अनुरंजन शर्मा, सोमेश सोढा, उमेश पंथ, वर्तिका धाभाई, विजय प्रजापत, उज्ज्वल प्रकाश मिश्रा, आसिफ शेर अली खान और सहायक प्रशिक्षक आरिफ खान, अरविंद सिंह चारण, कल्पना मौर्य, कमलेश कुमार बैरवा, संतोष खंडेलवाल, प्रवीण कुमावत, रेया माथुर, स्मृति चोपड़ा, रेणु सनाढ्य, वैदेही सक्सेना ने विभिन्न पात्रों की भूमिका निभाई।

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