जयपुर। ग्रहों के राजकुमार बुध ने मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश किया है। बुध अब 30 अगस्त तक कर्क राशि में स्थित रहेंगे और इस दौरान विभिन्न नक्षत्रों में गोचर करते हुए कई महत्वपूर्ण खगोलीय परिवर्तन होंगे। बुध 25 जून को पुष्य नक्षत्र में गोचर करेंगे।
7 जुलाई को अश्लेषा नक्षत्र में प्रवेश कर 18 जुलाई को वक्री अवस्था में आ जाएंगे। 29 जुलाई को पुन: पुष्य नक्षत्र में आएंगे। 11 अगस्त को बुध मार्गी होंगे। 22 अगस्त को दोबारा अश्लेषा में प्रवेश करेंगे। 30 अगस्त को सिंह राशि में प्रवेश करेंगे।
बुध का यह राशि परिवर्तन विशेष रूप से बुद्धि, तर्कशक्ति, वाणी, व्यापार, संचार और मीडिया क्षेत्र से जुड़े जातकों के लिए निर्णायक सिद्ध हो सकता है। बुध को बुद्धि और विवेक का प्रतीक माना गया है। यह ग्रह जब भी राशि बदलता है, तो उसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर किसी न किसी रूप में अवश्य पड़ता है। बुध ग्रह के अधिदेवता भगवान विष्णु हैं और इन्हें व्यापारियों का रक्षक भी माना जाता है। बुध की मजबूत स्थिति कुंडली में स्वास्थ्य, करियर और बुद्धिमत्ता में वृद्धि करती है, जबकि कमजोर स्थिति जीवन में अनिश्चितता और संचार बाधाओं का कारण बनती है।
ज्योतिषाचार्य पं. सुरेन्द्र गौड़ ने बताया कि यह अवधि उन लोगों के लिए विशेष लाभदायक सिद्ध हो सकती है जिनकी कुंडली में बुध शुभ और मजबूत स्थिति में है। ऐसे जातकों को व्यापार, वाणी, लेखन, शिक्षा, विश्लेषणात्मक सोच और निर्णय क्षमता में उन्नति के संकेत मिल सकते हैं।
वहीं यदि बुध अशुभ ग्रहों जैसे राहु, केतु या मंगल के साथ युति करता है तो मन की भ्रम की स्थिति, गलत निर्णय, वाद-विवाद और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन यदि बुध बृहस्पति जैसे शुभ ग्रह के साथ युति करे तो जातकों को दोगुना लाभ मिलने की संभावना होती है, विशेषकर व्यापार, निवेश और वित्तीय क्षेत्रों में।