जयपुर। सुरमई रात, फिज़ा में मधुरता घोलते सुरीले गीत, उन्हें सुनकर श्रोताओं के खिले हुए चेहरे। ये नज़ारा दिखा रविवार को जवाहर कला केन्द्र में। मौका था केन्द्र की ओर से कला संसार मधुरम के तहत आयोजित सुरेश वाडकर म्यूजिकल नाइट का। इसमें सुरों के मृदुल साधक पद्मश्री अलंकृत सुरेश वाडकर ने अपने मशहूर गीतों से समां बांधा। साहित्य, संगीत और सिनेमा की तर्ज पर मनाए जा रहे सितंबर स्पंदन में सुरेश वाडकर की प्रस्तुति ने ऐसा सुनहरा अध्याय लिखा है जिसकी यादें जयपुर वासियों के दिलों में हमेशा रहेगी।
ढलती शाम के साथ ही श्रोता मध्यवर्ती में जुटने लगे। सभी के दिलों में बेकरारी थी सुरों के सरताज सुरेश वाडकर को सुनने की। तालियों की गड़गड़ाहट के साथ श्रोताओं ने मंच पर वाडकर का स्वागत किया। सुरेश वाडकर ने श्केसरिया बालम से शुरुआत कर श्रोताओं को राजस्थानी रंग में रंग दिया। इसके बाद चला फिल्मी तरानों का सिलसिला, जिन्हें दिल थामकर श्रोता सुनते रहे।
और क्या एहद-ए-वफ़ा होते हैं लोग मिलते हैं जुदा होते हैं, सुरमई शाम इस तरह आए, और इस दिल में क्या रखा है जैसे संजीदा गीतों पर उन्होंने तालियां बंटोरी। लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है गीत ने सावन की सुंदरता का एहसास श्रोताओं को करवाया। फिर प्रस्तुति आगे बढ़ी श्सीने में जलन आंखों में तूफान सा क्यों है, ऐ जिन्दगी गले लगा लेजैसे गीतों के साथ। इसके बाद सुरेश वाडकर और सीमा मिश्रा की जोड़ी ने महफिल में चार चांद लगाए। ओ प्रिया प्रियाश्, मैं देर करता नहीं, मेघा रे मेघा रे जैसे गीतों के साथ उन्होंने वाहवाही लूटी। इसके बाद वाडकर ने सांझ ढले गगन तले हम कितने एकाकी गाकर विरह के भाव जाहिर किए तो राम तेरी गंगा मैली हो गई सुनकर श्रोता भावुक हो उठे।
फिर वाडकर और सिमा की जोड़ी ने ये आंखें देखकर, हुस्न पहाड़ों का, मेरी किस्मत में तू नहीं शायद, तेरे नैना मेरे नैनों से गीत गाकर दाद बटोरी। श्रोताओं को सुरेश वाडकर की आवाज में सपने में मिलती है, चप्पा-चप्पा चरखा चले आदि गीत सुनने को मिले। दिनेश कुमार गोपी व रवि तिलवानी ने की-बोर्ड पर, दिलीप सोलंकी ने ऑक्टो पैड़ पर, सुरेन्द्र कुमार ने ढोलक, सावन डांगी ने तबला और डैनी डेविड, कॉर्लटन ने गिटार तो रशीद खान ने सैक्सोफोन पर संगत की।