जयपुर। रामगढ़ बांध के अस्तित्व को बचाए रखने को लेकर सरकार की सक्रियता से लोगों को लग रहा है अब रामगढ़ बांध के दिन फिरने वाले हैं। इसके अस्तित्व को बचाए रखने के लिए सरकार की संकल्प के साथ कई संस्थाएं और संगठन भी अभियान चलाए हुए है। इन सबके बीच जमवारामगढ़ के ग्राम विशनपुरा के पुश्तैनी खातेदार काश्तकार चतुर्वेदी रावत (चौबे) परिवार का बेजोड़ रिश्ता रहा है। जयपुर को राजधानी बनाए जाने से पूर्व जयपुर के बाशिंदों के लिए पेयजल आपूर्ति की समुचित व्यवस्था एक यक्ष प्रश्न था।
इसके समाधान के लिए बाण गंगा नदी पर बांध बनाए जाने की परिकल्पना की गई और उसके लिए वर्तमान स्थान का चयन किया गया जिसमें गोपालगढ़, विठ्ठलपुर के अलावा विशनपुरा का काफी भूभाग आता था। इसके लिए तत्कालीन जागीरदार चौबे गोपीनाथ से संपर्क किया गया। वर्ष 1897 में जब जयपुर के महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय द्वारा रामगढ़ बांध की आधारशिला रखी गई थी तब विशनपुरा गांव के जागीरदार, दानवीर-भामाशाह पं गोपीनाथ चौबे द्वारा ग्राम विशनपुरा, तहसील जमवारामगढ़ के खसरा नंबर 40 एवं अन्य खसरा नंबरान में से बांध निर्माण के लिए आवश्यक भूमि दानस्वरूप समर्पित की गई, जिससे रामगढ़ बांध का निर्माण संभव हो सका ।
अपने पूर्वजों द्वारा रामगढ़ बांध से जोड़े गए रिश्ते को आज भी उनके वंशज कुंदनलाल चौबे निभा रहे हैं। उन्होंने विशनपुरा गांव में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के भवन निर्माण के लिए अपनी आराजी भूमि में से भूमि दानस्वरूप भेंट की जिस पर विद्यालय संचालित है। इसके अतिरिक्त रामगढ़ बांध मुख्य सडक़ से ग्राम विशनपुरा को जोड़े जाए के लिए प्रस्तावित सडक़ के लिए अपनी आराजी भूमि में से दानस्वरूप भूमि समर्पित की गई, जिससे सडक़ का निर्माण संभव हो पाया।
अब तीसरी-चौथी पीढ़ी निभा रही है परंपरा:
जमवारामगढ़ की जीवन रेखा रामगढ़ बांध के सूख जाने पर, इसके अस्तित्व की रक्षा के लिए रामगढ़ बांध के पुन: जलमग्न होने की कामनार्थ पं. गोपीनाथ जी चौबे के वंशज कुंदन लाल चतुर्वेदी उनके पुत्रों पीयूषपाणि चतुर्वेदी, मनोज कुमार चतुर्वेदी, विनोद कुमार चतुर्वेदी, पौत्र युवराज एवं दोहित्र सचिन चतुर्वेदी द्वारा विगत 25 वर्ष से निरंतर प्रतिमाह ग्राम विशनपुरा के विशनपुरा बालाजी धाम स्थित मध्ययुगीन (3500 वर्ष प्राचीन) श्री रघुनाथ जी मंदिर और श्री बालाजी महाराज के समक्ष अखण्ड रामायण के पाठ किए जा रहे हैं । गत माह मई-2025 तक 300 अखंड रामायण के पाठ पूर्ण हो चुके है ।