June 25, 2025, 1:44 am
spot_imgspot_img

गंगा दशहरा : गालव गंगा का होगा पूजन, गंगा जल से गंगा का अभिषेक

जयपुर। पतित पावनी मां गंगा मैया का स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण दिवस गंगा दशहरा पर्व ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को विभिन्न योग-संयोग में गुरुवार को भक्तिभाव से मनाया जाएगा। उत्तर भारत की प्रमुख पीठ गलताजी में स्वामी अवधेशाचार्य महाराज के सान्निध्य में गोमुख पूजन होगा। श्री गलताजी में सतयुग से महर्षि गालव के तपोबल से प्रकट एवं अनवरत प्रवाहित होने वाली गालव गंगा की सामूहिक महाआरती की जाएगी। इस अवसर पर गालव गंगा को चुनरी और फलों से सुसज्जित किया जाएगा। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान-दान करने पहुंचेंगे।

कई लोगों हरिद्वार जाकर गंगा नदी में भी डुबकी लगाएंगे। कई लोग पुष्कर भी जाएंगे। मंदिरों के बाहर जरुरतमंद लोगों को आटा, चावल, उड़द, गुड़, शर्बत और पंखे श्रद्धानुसार दान किया जाएगा। गंगा दशहरा पर छोटीकाशी के प्राचीन गंगा माता मंदिरों में सुबह पंचामृत अभिषेक करने के बाद नवीन पोशाक धारण कराकर फूल बंगला झांकी सजाई जाएगी।

गोपाल जी रास्ता स्थित गंगा मंदिर में गंगा माता का अभिषेक किया जाएगा। वहीं स्टेशन रोड स्थित गंगा माता मंदिर में पुष्पों से श्रृंगार किया जाएगा। गोविंद देवजी मंदिर के पीछे स्थित गंगा माता मंदिर में भी दिन भर श्रद्धालु का तांता लगा रहेगा। मंदिरों के बाहर स्टॉल लगाकर राहगीरों को शर्बत, जूस, छाछ, जलजीरा पिलाया जाएगा।

रहेंगे चार शुभ महासंयोग:

ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा के अनुसार गंगा दशहरा पर 4 महासंयोग रहेंगे। इस दिन रवि योग और हस्त नक्षत्र रहेंगे। इसके बाद तैतिल करण रहेगा। बुध ग्रह अपनी स्वराशि मिथुन में प्रवेश करेंगे, जिससे भद्र राजयोग का निर्माण होगा। जिससे कुछ राशियों का भाग्य चमक सकता है। साथ ही इन राशियों की धन- दौलत में बढ़ोतरी हो सकती है।

गंगाजल से होगा मां गंगा का अभिषेक

गोविन्ददेवजी मंदिर के पीछे जयनिवास उद्यान स्थित गंगाजी-गोपाल जी मंदिर में निम्बार्क सम्प्रदाय के अनुसार गंगा माता की सेवा-पूजा की जाएगी। सिंहासन पर रखे स्वर्ण कलश में गंगोत्री से मंगाए गए गंगाजल का मां यमुना के स्वरूप में पूजन होगा। गंगा जल से मां गंगा का अभिषेक किया जाएगा। गौरतलब है कि महाराजा माधोसिंह ने गोविन्ददेवजी मंदिर के पीछे जयनिवास उद्यान में गंगाजी-गोपाल जी मंदिर का निर्माण कराया था। करीब 100 वर्ष से अधिक प्राचीन इस मंदिर को राजधानी में मां गंगा का बड़ा दरबार भी कहा जाता है।

यहां प्रतिदिन हरिद्वार (उत्तराखंड) से मंगाए गए गंगाजल से मां गंगा के अभिषेक की परंपरा आज भी जारी है। वर्ष 1914 में बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को बनकर तैयार हुए इस मंदिर की लागत करीब 24 हजार रुपए आई थी। संगमरमर और करौली से मंगाए पत्थरों से बनाए मंदिर में मां गंगा की संगमरमर से निर्मित प्रतिमा को चांदी के पाट (सिंहासन पर) विराजमान किया गया।

मंदिर में दक्षिणमुखी शंख भी है, जो कि बहुत कम मंदिरों में मिलता है। जयपुर के पूर्व राजघराने के पं. रामप्रसाद के ब्रज भाषा में रचित तीन छंदों को संगरमरमर के फलक पर उत्कीर्ण करवाकर मंदिर के गर्भगृह में लगाया गया। सांधार शैली में बने मंदिर को रियासतकाल से ही सुरक्षा प्रदान की गई थी। वर्तमान में भी यहां जवान पहरेदारी करते दिखे।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

25,000FansLike
15,000FollowersFollow
100,000SubscribersSubscribe

Amazon shopping

- Advertisement -

Latest Articles