June 25, 2025, 12:55 am
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15 दिवसीय सिंधी बाल संस्कार शिविर में सिंधी बोली, सिंधी संस्कृति को जीवन में अपनाने का लिया संकल्प

जयपुर। पूज्य सिंधी पंचायत विनोबा विहार मॉडल टाउन के तत्वावधान में 15 दिवसीय सिंधी बाल संस्कार शिविर का बुधवार को प्रात 10 बजे हर्षोल्लास के साथ समापन किया गया। 15 दिवसीय सिंधी बाल संस्कार शिविर 40 से अधिक बच्चों ने भाग लिया और जिसमें सिंधी बोली,सिंधी संस्कृति,संस्कारों,सिंध के महापुरुषों,सिंधी लोक नृत्य,सिंधी तीज त्योहार का पूर्ण अभ्यास कराया गया।

शिविर की मुख्य शिक्षिका एवं कार्यक्रम की संयोजिका भूमिका गुरनानी ने बच्चों को सिंधी भाषा में प्रार्थना,पल्लव,आरती आदि का पूर्ण अभ्यास कराया। सह-शिक्षिका,शिक्षिकाओं के रुप में सेवा देने वाली मातृ शक्ति की वांशिक नानकवानी,पायल मेघवानी,पलक थावरानी,वर्षा केसवानी संस्था के सदस्य रमेश वासवानी ने शिविर में बच्चों को सिंधी भाषा में दिनों के नाम,महीनों के नाम,रंगों के नाम,सिधी लोक नृत्य,योग सिंधी खेल आदि का अभ्यास कराया।

वहीं सयुक्त सचिव प्रदीप मालिक ने सिंध प्रांत के संत भगत कंवर राम,भगवान श्री झूलेलाल, आचार्य सद्गुरु स्वामी टेऊंराम महाराज,अमर बलिदानी हेमू कालानी के जीवन दर्शन के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के समापन पर अध्यक्ष जे के मोदीयानी ने कहा कि नव पीढ़ी में जहां अंग्रेजी भाषा का चलन अधिक हो गया है।

वहीं सिंधी परिवारों से सिंधी भाषा का चलन विलुप्त होता जा रहा है। उन्होने कहा कि सिंधी भाषा,सिंधी संस्कृति के संरक्षण के लिए समय-समय पर इस प्रकार के शिविरों का आयोजन जरुरी है। जिससे बच्चों में संस्कारों के साथ-साथ सिंधी बोली ,सिंधी संस्कृति,सिंध के महापुरुषों,संत महात्माओं के जीवन दर्शन का ज्ञान मिल सके। समापन उत्सव पर सभी बच्चों एवं कार्यक्रम में अपनी सेवाएं देने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं को उपहार भेंट कर सम्मानित किया गया।

प्रतिदिन 1 रुपए की बचत से बदल सकता है किसी का जीवन

15 दिवसीय सिंधी बाल संस्कार शिविर के समापन के दौरान सभी बच्चों को उपहार स्वरुप एक -एक गुल्लक भेंट किया गया। जिसके पश्चात भूमिका गुरनानी,भव्या गुरनानी ने कहा कि प्रत्येक बच्चा और उनके अभिभावक प्रतिदिन 1 रुपया भी गुल्लक में डाल कर बचत करता है तो एक साल में 365 रुपए एकत्रित होते है।

बचत के इन पैसों से गौ माता की सेवा,किसी निर्धन बच्चे की स्कूल की किताबें,किसी गरीब के घर का राशन,किसी मंदिर की सेवा या जीव कल्याण हो सकता है। इन धार्मिक कार्य में इन पैसों को लेकार पुण्य प्राप्त कर सकते है। गुरनानी ने बताया इस कार्य से सेवा के साथ-साथ बच्चों के अंदर बचत की आदत का गुण भी विद्यमान होने लगेगा। गौरतलब है भूमिका और भव्य सेवा संस्थानाओं में सक्रिय रुप से अपना सहयोग देती आ रही है।

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