July 27, 2024, 7:38 am
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बजरी और होटल कारोबारी के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी

जयपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राजस्थान में बुधवार को बजरी और होटल कारोबारी मेघराज सिंह के ठिकानों पर छापेमारी की। जानकारी के अनुसार सिंह के जयपुर और उदयपुर समेत कई शहरों में स्थित ठिकानों पर कार्रवाई की गई है। कार्रवाई में विभाग की जयपुर और दिल्ली की टीमें शामिल हैं। इस दौरान कई बड़े खुलासे होने की संभावना है।

जानकारी के अनुसार मेघराज और गडानी ग्रुप पर बुधवार सुबह चार बजे ईडी की टीमें छापेमारी की। जहां ईडी ने जयपुर में दो सौ फीट बाईपास के पास मुख्य ऑफिस, वैशाली नगर स्थित मेघराज आवास, पानीपेच चौराहे के पास बजरी कार्यालय पर कार्रवाई की। वहीं टोंक, भरतपुर, सवाई माधोपुर की साइट पर भी ईडी की टीम पहुंची हैं। उदयपुर में तीन जगहों पर सर्च किया। ईडी की टीम को सर्च के दौरान मेघराज सिंह नहीं मिले तो अधिकारियों ने परिवार को उन्हें बुलाने के लिए कहा है। लेकिन सुबह पांच बजे से ग्यारह बजे तक मेघराज सिंह ईडीके अधिकारियों के सामने पेश नहीं हुए हैं। ईडी के अधिकारी मेघराज सिंह की तलाश में कई अन्य जगहों पर भी सर्च कर रही है।

जानकारी के अनुसार इस ग्रुप ने राजस्थान और दिल्ली के व्यापारियों और रसूखदारों को अपना पार्टनर बना रखा है। इसलिए ईडी जांच का दायरा बढ़ा सकती है। ईडीकी कार्रवाई से कारोबारियों में हड़कंप मच गया। साथ ही ईडी को सूचना मिली है कि जो भी इनके पास लीज है वह इन लोगों ने सरकार से कम दामों में अपनी फर्म के नाम करवा ली थी। इसके आधार पर सरकार को भी करोड़ों का नुकसान हुआ था, लेकिन इनकी कम्पनी को बड़ा फायदा हुआ था। ईडी की टीम खनन कारोबारी पर कार्रवाई से जुड़े प्रकरण में उदयपुर के शास्त्री सर्किल स्थित खान निदेशालय पहुंची है। निदेशालय के अधिकारियों से रिकॉर्ड मांगे गए हैं। इसके साथ ही नागौर जिले के रियांबड़ी उपखंड के आलनियावास नाके के पास मेघराज सिंह के ठिकाने पर ईडी का छापा पड़ा है।

यहां ईडी ने खनन से जुड़े कागजातों को खंगाला है। ईडी के पास जानकारी है कि यह लोग खान विभाग के अधिकारियों को नकद में रिश्वत दिया करते थे। किसी भी प्रकार का रिश्वत का पेमेंट ऑनलाइन नहीं होता था। ग्रुप के कुछ लोग खान विभाग में संविदा पर काम कर रहे हैं। जो विभाग की सभी गतिविधियों के बारे में समय-समय पर ग्रुप को अपडेट किया करते थे। नदी से बजरी कितनी उठ रही है, खनन विभाग के अधिकारियों से मिली भगत कर इसकी जानकारी में गड़बड़ी की जा रही थी।

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