जयपुर। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी मंगलवार को विभिन्न शुभ योग-संयोग में गणेश चतुर्थी के रूप में भक्तिभाव से मनाई गई। सुबह से देर रात तक छोटीकाशी प्रथम पूज्य की आराधना में लीन रही। श्रद्धालुओं ने गणेश मंदिरों में दर्शन किए।
मंदिर श्री गढ़ गणेश:
गणेश चतुर्थी पर गढ़ गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। दर्शनों के लिए श्रद्धालु 365 सीढिय़ां चढक़र प्रथम पूज्य के दर्शन करने पहुंचे। महंत प्रदीप औदीच्य के सान्निध्य में सुबह चार बजे पंचामृत गणपति का जन्माभिषेक किया गया। पल्लव, पुष्प और माला से गणपति का श्रृंगार किया गया। सुबह पांच बजे मंगला आरती के साथ सहस्त्र दूर्वाचन और सहस्त्र मोदक अर्पित किए गए। सहस्त्र नामावली से हवन किया गया। रात्रि 12 बजे शयन आरती हुई।
मंदिर श्री मोतीडूंगरी गणेशजी:
मोतीडूंगरी गणेश मंदिर में सुबह चार बजे से ही दर्शनार्थियों का तांता लग गया जो कि देर रात तक जारी रहा। हजारों की संख्या में श्रद्धालु देर रात घरों से पदयात्रा के रूप में रवाना होकर सुबह चार बजे मंगला झांकी में दर्शन करने पहुंचे। सवा ग्यारह बजे गणेशजी का विशेष पूजन कर साढ़े ग्यारह बजे श्रृंगार आरती की गई। दोपहर सवा दो बजे भोग आरती हुई। शाम सात बजे संध्या आरती के समय सर्वाधिक श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे।
श्रद्धालुओं की कतारे जेडीए, रिजर्व बैंक और त्रिमूर्ति सर्किल तक पहुंच गई। महिलाओं और पुरूषों के लिए अलग-अलग कतारों की व्यवस्था की गई। खास बात यह रही कि कि किसी भी कतार में प्रवेश करने के बावजूद भक्तों को गणेशजी के दर्शन ठीक सामने से हुए। गणेशजी के जयकारों और घंटों की आवाज से मंदिर दिरभर गूंजायमान रहा। मंदिर महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि गणेश चतुर्थी पर भगवान श्री गणेश जी महाराज स्वर्ण मुकुट धारण कर चांदी के सिंहासन पर विराजमान रहे। नोलड़ी का नोलखा हार का पारंपरिक श्रृंगार आकर्षण का केन्द्र रहा।