जयपुर। भाद्रपद शुक्ल षष्ठी गुरुवार को ठाकुर श्री गोपाल जी महाराज की 205 वीं हेडे की परिक्रमा गोपाल जी का रास्ता स्थित श्री नृसिंहजी के मंदिर से शुरू हुई पारंपरिक पोशाक में बुजुर्ग और उम्रदराज श्रद्धालु भजन मंडली के साथ जौहरी बाजार के एक-एक मंदिर में गए। ठाकुर जी दर्शन कर पदों का गायन किया। तीन-साढ़े तीन घंटे में जौहरी बाजार के सभी मंदिरों के दर्शन कर श्रद्धालु सांगानेरी गेट पहुंचे। यहां श्रद्धालु पैदल ही पंचमुखी हनुमान, गढग़णेश मंदिर के लिए रवाना हुए।
दोनों मंदिरों में दर्शन कर दोपहर को गलताजी पहुंचे। स्नान कर वहां के विग्रहों के दर्शन कर सिसोदिया रानी के बाग के सामने स्थित चतुर्भुज मंदिर में कुछ देर विश्राम किया। भोजन और विश्राम के बाद श्रद्धालु पुराना घाट आए। यहां श्रीराधा-गोपालजी और राधाजी की प्रिय सखियां ललिता, विशाखा के स्वरुपों को सोने का काम की हुई रत्न जडि़त पारचे की पोशाक धारण कराई।
करीब तीस किलों की पोशाक धारण किए चारों स्वरूप कड़ी सुरक्षा के साथ शोभायात्रा के रूप में सांगानेरी गेट पहुंची। सांगानेरी गेट पर हाथी, ऊंट, घोड़े, बैंड के लवाजमे के साथ शोभायात्रा जौहरी बाजार पहुंची। यहां कई स्थानों पर स्वागत किया गया। त्रिपोलिया बाजार, चौड़ा रास्ता में भी सामाजिक संगठनों, राजनेताओं और संतों-महंतों ने स्वरूपों की आरती उतारी। देर रात शोभायात्रा गोपालजी के मंदिर पहुंची।