June 28, 2025, 8:52 pm
spot_imgspot_img

भारतीय दार्शनिक आचार्य प्रशांत ने ISHRAE के “COOL CONCLAVE” में गीता और वेदांत पर चर्चा की

जयपुर। इंडियन सोसाइटी ऑफ हीटिंग, रेफ्रिजरेटिंग एंड एयर कंडीशनिंग (ISHRAE) की ओर से सीतापुरा स्तिथ नोवोटल कन्वेंशन एंड एग्जिबिशन सेंटर मैं इसरे कूल (CoOL) कॉन्क्लेव की गुरुवार से शुरुआत हो चुकी है। इसके की-नोट स्पीकर आचार्य  प्रशांत , एक भारतीय दार्शनिक, लेखक और अद्वैत शिक्षक है। वह सत्रह प्रकार की गीता और साठ प्रकार के उपनिषदों का अध्ययन कराते हैं और”प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन” नामक एक गैर-लाभकारी संगठन के संस्थापक भी हैं। “परंपरा को पार करना: आचार्य प्रशांत की सार्वभौम शिक्षाएं” इस विषय पर विस्तार से बात की गई। उन्होंने कहा कि जब मां-बाप खुद जिंदगी को नही समझ पाते तो बच्चो की परवरिश कैसे कर पाएंगे। आचार्य प्रशांत ने यह भी बताया कि श्रीमद भगवद्गीतामें प्रवेश होने से पहले वेदांत की प्रारंभिक समझ होना आवश्यक है। 

जीवन की समझ और बच्चो की शिक्षा

आचार्य प्रशांत ने बताया कि समान मनुष्य सोचता है कि वह अपनी आत्मा की पूर्णता के लिए आवश्यक चीज़े हासिल कर लूंगा और ऐसी चीज़े विकसित करूंगा जिससे मेरी चेतना का उत्थान हो सके। वह सोचता है कि अगर घर में भौतिक समृद्धि आ रही है तो वह भीतरी पूर्णता का विकल्प बन गई हैं, जो की गलत है। मां बाप खुद जीवन को नहीं समझ पाते, चिंता, सूख, ईर्ष्या जैसे भावो से ही भरे रह जाते है इसलिए बच्चो की परवरिश सही ढंग से नही कर पाते है। 

भौतिक समृद्धि और उसकी असली महत्वता

आचार्य प्रशांत ने बताया की अगर हम आध्यात्मिकता की दिशा की ओर जाए तो जीवन की कई गुत्थियां सुलझा सकते है। गीता जीवन की कई समस्याओं का समाधान प्रस्तुत कर सकती है। उन्होंने ये भी बताया की 12-14 साल पहले से ही उन्होंने गीता पढ़ना और उसका संस्करण शुरू किया था और आज 30000 छात्र जुड़ चुके है। “भगवद गीता पढ़ने का मुख्य उद्देश्य छात्र की जिंदगी मैं बदलाव लाना था, सर्फ पढ़ना नही,” आचार्य ने अपने विचारो को प्रस्तुत करते हुए कहा। 

यह कैसे सुनिश्चित करें कि श्रीमद भगवद्गीता की व्याख्या सही है?

इस प्रश्न का उत्तर देते हुए आचार्य प्रशांत ने समझाया की श्रीमद भगवद्गीता को पढ़ने की बजाए दिल में उतारना चहिए। यह वेदांत का एक महत्वपूर्ण अंग है और उपनिषदों के साथ मेल भी  खाता है। गीता और उपनिषद एक जैसी ही हैं, अगर उसकी व्याख्या वेदांत के महावाक्यों से मेल खाती है तो ही माना जा सकता है वह सही है। आजकल गीता के कुछ अर्थ जनमानव में प्रचलित हो गए हैं, जो कि हमारे वेदांतो के नहीं हैं, बल्कि हमारी मान्यताओं, परंपराओं और रूढ़ियों पर आधारित हैं। हम जो मान लेते है की सही है, वही हम किसी भी पुराण में देखने की कोशिश करते है। गीता में प्रवेश करने से पहले वेदांत की आरंभिक समझ होनी ही चाहिए।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

25,000FansLike
15,000FollowersFollow
100,000SubscribersSubscribe

Amazon shopping

- Advertisement -

Latest Articles