जयपुर। राजस्थान परिवहन विभाग हाल में कई स्लीपर में आग लगने और दुर्घटना को देखते हुए निजी स्लीपर बसों के खिलाफ विशेष चलाया है। राजस्थान परिवहन विभाग की इस कार्रवाई से बौखलाए निजी स्लीपर बस संचालकों ने शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरु कर दी। जिससे करीब आठ हजार निजी स्लीपर बसों के पहिए थम गए।
जिसके चलते करीब तीन लाख सवारियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। जयपुर समेंत जोधपुर और कोटा समेत कई जिलों में निजी ‘स्लीपर’ बसें शुक्रवार को नहीं चलीं। शुक्रवार को ट्रेवल्स एजेसिंयों ने निजी बसों की बुकिंग रद्द कर दी। जिसके बाद सवारियां रोजवेज बस और ट्रेनों की ओर दौड़ते नजर आए। वहीं राजस्थान परिवहन विभाग ने यात्रियों की बढ़ती भीड़ और निजी स्लीपर बसों को अनिश्चितकालीन हड़ताल को देखते हुए अतिरिक्त बसों की व्यवस्था कर ली है।
ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट बस ओनर्स एसोसिएशन’ की जोधपुर इकाई के अध्यक्ष जफर खान का आरोप है कि परिवहन विभाग तानाशाही ओर मनमाने तरीके से निजी बस संचालकों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है और उसने परमिट के उल्लंघन के आरोप में कई बसों को जब्त कर लिया है। जोधपुर में लगभग 500 बसें चल नहीं रहीं। परिवहन विभाग ने परमिट के उल्लंघन पर मनमाने जुर्माने लगाए हैं। जिससे बस संचालकों में रोष है। अध्यक्ष जफर खान बताया कि परिवहन विभाग ने ‘स्लीपर’ बसों में आपातकालीन निकासी द्वार न होने जैसे बदलावों पर आपत्ति जताई है। ऐसे में ‘हम आदेशों का पालन करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए हमें समय चाहिए।
विभाग ने उन बस बॉडी सेंटरों को भी सील कर दिया है जहां बसों में बदलाव किए जाते हैं। इसलिए अब हमें आवश्यक बदलाव करवाने में समस्या आ रही है। परमिट जारी किए जा चुके हैं और उन्हीं बसों की फिटनेस जारी भी की चुकी है, लेकिन अब विभाग जुर्माना लगा रहा है। विभाग को अपने उन अधिकारियों और निरीक्षकों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए जिन्होंने बसों को फिटनेस में पास किया है।
जयपुर में निजी बस ऑपरेटर संघ के प्रतिनिधि राजेंद्र शर्मा ने कहा कि हड़ताल अनिश्चितकालीन है। एक अन्य प्रतिनिधि ने कहा कि राज्य में लगभग 8 हजार निजी ‘स्लीपर’ बसें हैं और उदयपुर एवं भीलवाड़ा को छोड़कर सभी जिलों के निजी बस संघों ने अपना समर्थन दिया है।
इस अभियान से बौखलाए निजी स्लीपर बस संचालक
गत दिनों पहले जैसलमेर में एक ‘स्लीपर’ बस में आग लगने से कई लोग जिंदा जल गए थे। बस में आग एसी में शॉर्ट सर्किट होने के कारण लगी थी। बस में कोई आपातकालीन निकासी द्वार नहीं था। घटना के बाद, परिवहन विभाग ने अवैध बस संरचना में बदलाव और परमिट मानदंडों के उल्लंघन के खिलाफ गहन जांच अभियान शुरू किया।




















