जयपुर। राम जानकी विवाह उत्सव में जनक जी ने देश विदेशौ से राजा महाराजाओं को सीता स्वयंवर में बुलवाया गया और दूत के द्वारा महाराज विश्वामित्र जी को एवं दोनों राजकुमारों को भी बुलवाया राजा जनक ने सभी महाराजाओं को कहा जो भी योद्धा इस धनुष को तोड़ेगा उसी राजकुमार के साथ सीता का विवाह होगा जनक के दरबार में अनेक योद्धा आये हुए हैं जनक जी के कहने पर सभी राजा महाराजाओं ने धनुष तोड़ने कि कोशिश कि लेकिन कोई भी व्यक्ति धनुष को नहिं तोड़ सका
राजा जनक ने भरी सभा में कहा कि पृथ्वी वीरों से खाली हो गई कोई भी वीर धनुष को नहीं तोड़ सका माता सुनैना ने कहा महाराज को कोई कहे कि अब और मजाक मत कराओ भक्तों द्वारा पद गाकर
ये तो सुकुमार है कैसे धनुष चढ़ायेंगे
उठ सकेगा जब नहिं
तब तो हंसी करायेगा
राजा जनक कि बात लक्ष्मण जी ने सुनी तो बहुत क्रोध होकर सभा में कहा रघुवंशी के होते हुए महाराज को यह बात नहीं करनी चाहिए यह धनुष तो क्या है पूरी पृथ्वी को मैं आपकी उंगली में उठा सकता हूं राम जी ने उनको इशारे से चुप रहने के लिए कहा
गुरु वशिष्ठ जी के कहने पर राम जी धनुष को उठाने के लिए कहा तब मिथला के नर नारी अपने देवी देवताओं को मन में मनाने लगे सीता भी भगवान शंकर माता पार्वती को मन ही मन मनाया ओर कहने लगी
देवी देवों का सुमिरण कर मन हि मन में सिय अकुलाई
अब तो प्रसन्न हुजिये मात गिरजि हिमाचल की जाई
हे महादेव कीजिए सफल मेरी सच्ची सिकाई को
राम जी ने कब धनुष उठाया और कब उसको तोडा यह कोई भी नहि देख सका
तोड़ दिया तोड़ दिया रे धनुष को तोड दिया रे राम जी ने सीता से नाता जोड़ लिया रे
मिथला पुर में खुशियां कि लहर दौड़ गई सभी देवी-देवता ने आकाश से फूल बरसाए
सीत जी ने राम जी को वर माला गले में पहनाई सभा में परशुराम जी आये और बहुत कोध हुए लक्ष्मण और परशुराम के स्वाद हुए भगवान राम ने उनका क्रोध शांत किया राजा जनक ने विश्वामित्र के कहने पर राजा दशरथ को बरात लाने का निमंत्रण भीजवाया जनक का दूत अयोध्या में दशरथ को जनक जी का पत्र दिया उसको पड़कर राजा ने सभी राशियों एवं अयोध्या वासियों को पड़कर सुनाया अयोध्या में खुशी कि लहर फैल गई राजा ने बरात में चलने के लिए भरत एवं शत्रुघ्न को बरात में चलने कि तैयारी कि जावे
संस्था के मंत्री रामबाबू झालाणी ने बताया कि कल राम जी का तिलक एवं मटकोर का उत्सव मनाया जावेगा