जयपुर। श्री राम मंदिर आदर्श नगर में लक्ष्मण परशुराम संवाद की लीला हुई। सुनहुं राम जेहिं सिव धनु तोरा सहस्त्रबाहु सम सो रिपु मोरा अर्थात हे राम !सुनो ,जिसने शिव जी के धनुष को तोड़ा है वह सहस्त्रबाहु के समान मेरा शत्रु है। ऐसे वचन परशुराम जी ने क्रोधित होकर राम जी से कहे ,शिव जी के धनुष के टुकड़े देखकर परशुराम जी को अत्यंत क्रोध आ गया था ,उन्होंने कहा कि जिसने इस धनुष को तोड़ा है वह इन सब राजाओं से अलग हो जाए अन्यथा सभी राजा मारे जाएंगे ।उनके क्रोध को देख लक्ष्मण जी ने कहा यह तो पुराना धनुष था हाथ लगते ही टूट गया ।
परशुराम जी ने कहा कि मैं तुझे बालक जानकर नहीं मारता हूं अन्यथा मैं अत्यंत क्रोधी हूं ।लक्ष्मण जी और परशुराम जी के संवाद का दर्शकों ने तालियां बजाकर स्वागत किया ।परशुराम जी के क्रोध को विश्वामित्र जी ने शांत करने के लिए कहा कि महाराज बालक का अपराध क्षमा करें बालकों के दोष और गुण को साधू लोग नहीं गिनते। लक्ष्मण जी ने कहा कि आप क्रोध न करें क्रोध पाप का मूल है जिसके वश में होकर मनुष्य अनुचित कर्म कर बैठते हैं और सभी का अहित करते हैं।
राम जी ने हाथ जोड़कर विनय पूर्वक मुनि के क्रोध को शांत किया। परशुराम जी ने अपना संदेह मिटाने के लिए भगवान विष्णु के धनुष को राम जी को दिया तो वह धनुष अपने आप चल गया यह देख परशुराम जी का संदेह मिट गया ।वह आशीर्वाद देकर चले गए। इससे पूर्व पुष्प वाटिका, गिरिजा पूजन, धनुष यज्ञ और रावण बाणासुर संवाद लीला हुई। उपाध्यक्ष अनिल खुराना ने बताया कि कल मथुरा कैकयी संवाद ,दशरथ कैकयी संवाद, कौशल्या राम संवाद और श्री राम गमन की लीला होगी।