होलिका दहन के लिए दो सौ टन गोकाष्ठ भेजी जाएगी गुजरात

0
343
Two hundred tons of cow wood will be sent to Gujarat for Holika Dahan.
Two hundred tons of cow wood will be sent to Gujarat for Holika Dahan.

जयपुर। पर्यावरण को बचाने एवं गाय संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए इस बार राजस्थान की राजधानी जयपुर में करीब पांच सौ स्थानों पर गाय के गोबर से बनी लकड़ी से होलिका दहन किया जाएगा वहीं होली पर दो सौ टन गौकाष्ठ गुजरात भेजा जा रहा हैं।

20 मीट्रिक टन गोकाष्ठ तीन ट्रकों से गुजरात रवाना

अखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद के अंतरराष्ट्रीय संयोजक एवं भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि गुजरात सरकार ने इस बार होली पर होलिका दहन गाय के गोबर से बनी लकड़ी से ही करना अनिवार्यता लागू करने का फैसला किया है और इस कारण वहां गौकाष्ठ की भारी मांग बड़ी है | और इसके लिए राजस्थान से दो सौ टन गोकाष्ठ भेजने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई हैं |

इसके लिए रविवार को यहां से 20 मीट्रिक टन गोकाष्ठ तीन ट्रको में गुजरात के लिए रवाना की गई है |
गौरतलब है कि पिछले सात वर्ष पहले गाय के गोबर से लकड़ी बनाने का कार्य जयपुर की श्री पिंजरापोल गौशाला में शिवरतन चितलांगिया एवं राधेश्याम पाठन के नेतृत्व में किया गया था। जयपुर में सबसे पहले इसी गौ शाला से इसे राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम बनाने का सिलसिला शुरू हुआ।

गोकाष्ठ से मिलती है 27 प्रतिशत ऑक्सीजन

पिछले 7 वर्षों में वैज्ञानिक रूप से यह संभव हुआ की गाय के गोबर की लकड़ी व्यवसाय पर्यावरण और आर्थिक दृष्टि से बहुत-बहुत उपयोगी है | एक जगह होलिका दहन में करीब 150 किलोग्राम गौकाष्ठ लगती हैं और इससे 27 प्रतिशत ऑक्सीजन निकलती है जबकि अन्य लकड़ी होलिका दहन के लिए 500 किलों लगती है और उससे 100 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है। जो पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक है।

गोकाष्ठ निर्माण को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री को लिखा पत्र ,बाहर देशों से मांग बढ़ी

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जयपुर की श्री पिंजरापोल गौशाला में आमंत्रित किया है तथा निवेदन किया कि गौकाष्ठ निर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारत में गौ उद्योग ग्राम कार्यक्रम बनाए जाएं, जिससे गोकाष्ठ को बढ़ावा मिले | गुजरात के अलावा राजस्थान में जयपुर में पांच सौ जगह पर होलिका दहन के लिए गौकाष्ठ के लिए बुकिंग हो चुकी है, वहीं उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु के चेन्नई से भी मांग की गई हैं। तमिलनाडु भी पेड़ कटाई पर पाबंदी लगाना चाहता हैं और गोकाष्ठ की आपूर्ति की मांग की है। गोकाष्ठ तैयार करने के प्रशिक्षण की भी बात हुई हैं।

इस प्रकार आठ से दस राज्यों में गौकाष्ठ भेजा जाएगा और इसके प्रति जागरूकता फैलाने का काम किया जायेगा । सौ से अधिक स्वयं सहायता समूह ने कम से कम 2000 टन गोबर की लकड़ी बनाई हैं और लगभग 70 प्रतिशत की खपत हो चुकी है और करीब 30 प्रतिशत शेष हैं। इसकी क्षमता को और बढ़ाया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि गोकाष्ठ की मांग बढ़ती जा रही है लेकिन जब सरकार इसके प्रति आगे आयेगी तो जहां इसकी मांग और बढ़ेगी वहीं पर्यावरण और गाय संरक्षण को और मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि इससे हमारा अभियान भी सार्थक होगा।

उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य प्रतिदिन दो हजार टन गोकाष्ठ का उत्पादन करने का हैं कि गोकाष्ठ को बढ़ावा देने के लिए पेड़ों की कटाई पर रोक लगे और इस वर्ष नहीं तो कम से कम अगले वर्ष होली पर होलिका दहन गोकाष्ठ से किया जाना अनिवार्य किया जाये। पिंजरापोल गौशाला, बगरू गौशाला, राजलदेसल गौशाला निवाई में प्रकाश नाथ महाराज जी की गौशाला व अनेकों गौशालाएं राष्ट्र निर्माण के इस कार्य में अपना योगदान दे रही है, गाय के गोबर से दीपक एवं गोकाष्ठ तैयार करने के काम से जहां गोशालाओं एवं किसानों को संबल मिलेगा वहीं इससे पर्यावरण एवं गाय संरक्षण को भी बल मिलेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here