जयपुर। हरियाली अमावस्या रविवार को छोटीकाशी में धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रही। मंदिरों में ठाकुरजी की विशेष झांकियां सजाई गई। धरती को हरा-भरा करने के लिए जगह-जगह पौधारोपण किए गए। कई लोगों ने अपने पितरों की स्मृति में वृद्धाश्रमों में बुजुर्गों को भोजन कराने और सामग्री वितरित करने पहुंचे। लोग अपने पितरों की स्मृति में भोजन कराने से लेकर कपड़े एवं अन्य जरूरत का सामान दान में दिया ।
वहीं कुछ लोग इन बुजुर्गों की सेवा भी करने आए । दान देने वालों ने एडवांस बुकिंग पहले से ही करा दी है, जिससे रविवार के दिन उनकी तरफ से भोजन से लेकर अन्य दान समय रहते हो जाए। कुछ लोगों ने तो कई दिन का खाना खिलाने के लिए राशि जमा कर दी है। वहीं कुछ ने बुजुर्गों की जरूरतों के लिए सामान खरीदने की राशि भी जमा की है। बुकिंग करने वाले लोग अपने हाथ से बुजुर्गों को भोजन परोसेंगे और बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया । कई तो परिवार सहित वृद्धाश्रम पहुंचें।
रहेंगे अनेक शुभ योग-संयोग: सावन की हरियाली अमावस्या पर अनेक शुभ योग-संयोग रहेंगे। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि हरियाली अमावस्या पर श्रीवत्स योग सुबह 5:56 बजे से दोपहर 1: 25 बजे तक रहेगा। रवि पुष्य योग शनिवार को 11:59 बजे से शुरू होकर रविवार को दोपहर 1:25 बजे तक है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:56 बजे से दोपहर 1:25 बजे तक है। सिद्धि योग शनिवार को 11 बजे सुबह से रविवार को सुबह 11: 41 बजे तक रहेगा। पुष्य नक्षत्र तडक़े 5:56 बजे से दोपहर 1: 26 बजे तक है।

हरियाली अमावस्या पर लोग अपने दिवंगत पितृगणों की स्मृति में पौधा लगाएं और तर्पण किया । सभी प्रमुख शिवालयों में शिवजी राजा के रूप में विराजे। बेलपत्र, धतूरा और हरी पत्तियों से उनका हरित श्रृंगार किया गया । धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं ने पौधे लगाएं। पेड़ हमारे जीवन का आधार हैं। वे हमें प्राण शक्ति ऑक्सीजन देते हैं, इसलिए पेड़-पौधों को सुंरक्षित करने, आदर देने और धरती मां के आंगन में हरियाली बिखेरने के उद्देश्य से प्रति वर्ष हरियाली अमावस्या मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पीपल के पेड़ पर तीन देवताओं का वास माना जाता है- ब्रह्मा, विष्णु और महेश। पौधा लगाते हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी और आपकी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी। इस दिन पितरों को तर्पण और पिंडदान करना शुभ माना जाता है। वे खुश होकर आशीर्वाद देते हैं।