कन्या वंदन: तीन हजार बेटियों का किया अभिनंदन

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Kanya Vandan: 3000 daughters were felicitated
Kanya Vandan: 3000 daughters were felicitated

जयपुर। आए दिन छोटी बच्चियों के साथ छेड़छाड़-दुष्कर्म जैसी शर्मसार करने वाली घटनाओं के बीच शुक्रवार को राजधानी में बेटियों और माताओं के सम्मान तथा गरिमा की पुर्नस्थापना की दिशा में एक सुखद और प्रेरक आयोजन हुआ।

हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन की ओर से आदर्श नगर के दशहरा मैदान में आयोजित हिंदू सेवा मेले के दूसरे दिन कन्या वंदन कार्यक्रम एक ऐसा ही आयोजन था। कार्यक्रम में लगभग 3000 से अधिक कन्याओं का वंदन किया गया। विभिन्न विद्यालयों की बच्चियों को कुर्सी पर बैठाकर उनके ही विद्यालय के बच्चों ने बहन का मान-सम्मान देते हुए दुपट्टा पहनाकर और तिलक कर वंदन किया। लडक़ों ने हर लडक़ी का सम्मान करने का संकल्प लिया।

फाउंडेशन के प्रदेश सचिव सोमकांत शर्मा ने बताया कि कन्या वंदन और सुवासिनी वंदन के जरिए भारतीय परंपरा में महिलाओं के सम्मान को पुन: स्थापित करने का समाज को संदेश दिया गया। प्राचीन भारतीय परंपराओं के माध्यम से बालिकाओं और नारियों का सम्मान और गरिमा का पुनर्निर्माण आवश्यक है।

भारत में परिवार का केंद्र नारी है, जो सर्वोच्च आदर्श और प्रभु की प्रतिनिधि है। इस कार्यक्रम के माध्यम से नारी के इसी महत्व को उजागर किया गया ताकि समाज में महिलाओं और बालिकाओं के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा मिल सके। कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन हुआ, जिसमें बालिकाओं और महिलाओं के प्रति आदर और आभार प्रकट किया गया।

कन्या वंदन कार्यक्रम के अंतर्गत नृत्य, गीत, और नाटक का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बापना, कोषाध्यक्ष दिनेश पितलिया, कार्यक्रम संयोजक शीला अग्रवाल, सह सयोजक नवीन आटोलिया, कोमल चौहान, मनदीप सिंह सहित अन्य उपस्थित रहे।

मातुश्री अहिल्या बाई होलकर नाटक का मंचन

सांयकालीन सत्र में मातुश्री अहिल्या बाई नाटक का मंचन किया गया। नाटक के माध्यम से महेश्वर की महारानी और न्याय की प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया। नाटक में उनके जीवन, संघर्ष और समर्पण की कहानी को बखूबी दिखाया गया। कथानक के अनुसार रानी अहिल्याबाई ने अपनी बुद्धिमत्ता और निर्णय क्षमता से मध्य भारत में शासन किया और कई धार्मिक और सामाजिक सुधार किए। नाटक में उनकी साहसिकता, दया और नेतृत्व की भावना को उजागर किया गया। नाटक ने दर्शकों को रानी अहिल्याबाई के अद्वितीय व्यक्तित्व और उनके योगदानों से अवगत कराया।

आज होगा शिक्षकों का वंदन

शनिवार को सुबह दस बजे शिक्षक वंदन कार्यक्रम होगा। बड़ी संख्या में शिक्षकों का वंदन उनके विद्यार्थी करेंगे। अपराह्न चार बजे वृक्ष-गौ-तुलसी वंदन कार्यक्रम होगा। शाम सात बजे कत्थक विविध कार्यक्रम होगा।

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