जयपुर। राणी सती दादी भारतीय संस्कृति,परंपरा और नारी शक्ति की प्रतीक मानी जाती है। राजस्थान के झुंझुनूं में स्थित राणी सती दादी के मंदिर की महिमा और परंपरा को जीवंत रखते हुए सोमवार को जयपुर में राणीसती दादी की शादी का भव्य आयोजन बड़ी धूमधाम से संपन्न हुआ। इस पवित्र अवसर पर देशभर से हजारों भक्त जयपुर पहुंचे और इस अनोखे आयोजन में भाग लिया।
इतिहास के अनुसार, उनका विवाह हरियाणा के हिसार में हुआ था। जब उनकी शादी हुई, तब उनकी आयु मात्र 13 वर्ष थी। विवाह के बाद, अपने मायके में गोने की रस्म के दौरान एक भयानक घटना घटी। उस समय उनके पति, तनधन बाबा, एक युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए।
अपने पति की मृत्यु के बाद राणीसती दादी ने न केवल शत्रुओं का पराक्रम से सामना किया, बल्कि अपने त्रिशूल से उन्हें पराजित कर दिया। इसके पश्चात, उन्होंने अपने पति के प्रति अटूट प्रेम और समर्पण दिखाते हुए स्वयं सती का रूप धारण कर दुर्गा के रूप में विख्यात हुई । यही कारण है कि उन्हें “रानी सती” के नाम से पूजा जाता है, जो नारी सशक्तिकरण और बलिदान की अनुपम मिसाल है।
आयोजन की प्रमुख झलकियां:
सोमवार को जयपुर में हुए इस आयोजन में राणीसती दादी की अनन्य भक्त और प्रचारक अरुणा दीदी ने मंगल पाठ का नेतृत्व किया। उन्होंने शादी की रस्मों को पारंपरिक तरीके से संपन्न कराकर भक्तों को दादी के प्रति श्रद्धा और भक्ति से सराबोर कर दिया। शादी के इस कार्यक्रम में परंपरागत गीत, पूजा-अर्चना, और विवाह की रस्मों का आयोजन हुआ।
देशभर से दादी के भक्त इस आयोजन का हिस्सा बनने के लिए जयपुर पहुंचे। पूरे दिन जयपुर में भक्ति और आस्था का माहौल बना रहा। आयोजन स्थल को भव्य रूप से सजाया गया था, और श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर इस धार्मिक आयोजन को सफल बनाया।
श्रद्धा और आस्था का अनूठा पर्व
राणीसती दादी की शादी का यह आयोजन न केवल उनकी महिमा का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय परंपराओं और नारी सशक्तिकरण का भी संदेश देता है। श्रद्धालुओं का उत्साह और उनकी अपार भक्ति ने इस कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया। राणीसती दादी की इस अनोखी परंपरा ने जयपुर को एक बार फिर श्रद्धा और आस्था का केंद्र बना दिया है। यह आयोजन हर वर्ष लाखों भक्तों को जोड़ता है और दादी की अमर गाथा को सजीव रखता है।