जयपुर। राजस्थान भाजपा में कार्यकारिणी विस्तार को लेकर सियासी खींचतान अपने चरम पर पहुंच गई है। पार्टी ने मंडल अध्यक्षों और जिलाध्यक्षों की घोषणा भले ही कर दी है, लेकिन प्रदेश कार्यकारिणी के विस्तार की घोषणा अब तक नहीं हो सकी है। प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ कई बार मीडिया के सामने कार्यकारिणी के ऐलान का समय तय कर चुके हैं, मगर हर बार मामला टल जाता है।
दरअसल, पार्टी के भीतर अब पुरानी और नई पीढ़ी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष गहराता जा रहा है। जमीनी कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने दशकों तक भाजपा को खड़ा करने में मेहनत की, लेकिन जब पार्टी सत्ता में आई, तो उन्हीं को दरकिनार कर दिया गया। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सरकार अब कुछ गिने-चुने नेताओं के इशारे पर चल रही है, जिनका कभी संगठन में कोई वजूद नहीं रहा।
मदन राठौड़ के सीधेपन का हो रहा फायदा
प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के उदार और सरल स्वभाव का पार्टी के भीतर कुछ गुट अपने तरीके से फायदा उठा रहे हैं। उनके शांत और सौम्य रवैये की वजह से कई महत्वपूर्ण फैसले टाले जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो प्रदेश भाजपा इकाई में कुछ ऐसे प्रभावशाली चेहरे हैं, जो अपनी पसंद के लोगों को कार्यकारिणी में शामिल करवाना चाहते हैं। ऐसे में मदन राठौड़ का संतुलन साधने वाला रवैया पार्टी में नई खींचतान का कारण बन गया है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी असहज
प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर सरकार और संगठन के बीच सामंजस्य बैठाने की बड़ी जिम्मेदारी थी। भजनलाल शर्मा खुद लंबे समय तक भाजपा प्रदेश महामंत्री और कई अहम पदों पर रह चुके हैं। मगर वर्तमान हालात में वे भी सरकार और संगठन के बीच संतुलन बनाने में पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहे।
सूत्रों के मुताबिक, कार्यकर्ताओं की लगातार अनदेखी और सत्ता में गिने-चुने लोगों का दबदबा दोनों ही सरकार और संगठन के बीच दूरियां बढ़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी चाहकर कई मुद्दों पर हस्तक्षेप नहीं कर पा रहे, जिससे कार्यकर्ताओं की नाराज़गी और बढ़ती जा रही है।
संघ की नाराज़गी भी बनी बड़ी वजह
प्रदेश भाजपा में मचे घमासान के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नाराजगी की खबरें भी सामने आ रही हैं। संघ के पदाधिकारी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और संगठन के पुराने समीकरण को नजरअंदाज करने से असंतुष्ट बताए जा रहे हैं।
मोदी-शाह तक पहुंची रिपोर्ट
पार्टी सूत्रों की मानें तो राजस्थान भाजपा में चल रही इस खींचतान और कार्यकर्ताओं की नाराजगी की रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तक भी पहुंच चुकी है। यही वजह है कि अभी तक कार्यकारिणी विस्तार की घोषणा रोक दी गई है।
अब देखना ये है कि भाजपा प्रदेश नेतृत्व कब तक इस असंतोष को संभाल पाता है और क्या नाराज कार्यकर्ताओं को मनाकर पार्टी एकजुटता के साथ आगामी निकाय और पंचायत चुनावों का सामना कर पाएगी। फिलहाल राजस्थान भाजपा में सियासी तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है।