जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की ओर से कला संसार मधुरम के अंतर्गत आयोजित शास्त्रीय उत्सव की गुरुवार को शुरुआत हुई। पहले दिन ग्रामीण अंचलों के सौंदर्य को समेटने वाले शिल्पग्राम के प्राकृतिक परिवेश में ‘साहित्य की सांगीतिक सर्जना और उसकी सर्वकालिक समसामयिक भूमिका’ विषय पर संवाद प्रवाह हुआ। इसमें संस्कृतिकर्मी, कवि एवं कला आलोचक डॉ. राजेश व्यास, सांस्कृतिक लेखक ललित शर्मा ‘अकिंचन’ और मृदंग वादक डॉ. अंकित पारिख ने विचार रखे।
प्रो. डॉ. मधु भट्ट तैलंग ने सूत्रधार रहीं। वहीं रंगायन सभागार में डॉ. श्याम सुंदर शर्मा की ध्रुवपद गायन प्रस्तुति हुई। उन्होंने विभिन्न तालों में निबद्ध ध्रुवपद की रचनाएं पेश की। इस मौके पर जवाहर कला केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक सुश्री प्रियंका जोधावत ने कहा कि केंद्र में जारी कार्यशाला में भविष्य के कलाकार तैयार हो रहे हैं, वहीं संवाद प्रवाह में विशेषज्ञों के साथ होने वाली विस्तृत चर्चा से हर कला के गूढ़ तत्व सामने आते हैं।
‘शब्द ब्रह्म है उसे सिद्ध करने पर संगीत होता है जीवंत’
संवाद प्रवाह के दौरान मधु भट्ट तैलंग ने बताया कि संगीत जहां आनंददायी होता है वहीं शास्त्रों में संगीत का मूल उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति भी बताया गया है। शास्त्रीय संगीत में परंपरा निर्वहन के साथ समसामयिकता का ध्यान रखना भी जरूरी है। उन्होंने अपनी नवीन रचना, ‘हम कन्या है, हमको बचा लो, हम है कुल का जरिया, हमसे ही है सृष्टि का बहता दरिया’, सुनाकर बताया कि किस तरह शब्दों के सार्थक प्रयोग से रचनाएं तैयार की जाती है। डॉ. राजेश व्यास ने शास्त्रीय संगीत की पृष्ठभूमि और संगीत में शब्दों के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि शब्द को ब्रह्म की संज्ञा दी गयी है, शब्द के संगीत में घुलने पर जो रचना तैयार होती है वह आनंददायी होती है। उन्होंने कहा कि शब्द संगीत में जुड़े और कलाकार उसे सिद्ध करे तो संगीत जीवंत हो उठता है। डॉ. व्यास ने कलात्मक विधाओं पर संवाद की जरूरत पर जोर दिया साथ ही कहा कि हर कला समय और एकाग्रता मांगती है। ललित शर्मा ने कहा कि लेखन के लिए सरल और सहज भाषा का चयन जरूरी है। वहीं डॉ. अंकित पारिख ने कहा कि संगीत के तीन मूल तत्व है स्वर, लय और पद। संगीत साधकों ने काव्य साहित्य को इतना समृद्ध किया इसी का प्रतिफल है कि संगीत यहां तक पहुंच सका है।
ध्रुवपद सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रोता
इधर रंगायन सभागार में डॉ. श्याम सुंदर शर्मा ने ध्रुवपद गायन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। राग यमन में आलाप, ‘हरि ॐ अनंत नारायण’ के साथ उन्होंने प्रस्तुति की शुरुआत की। उन्होंने चौताल में गोस्वामी तुलसीदास की बंदिश, ‘जय जय जग जननी देवी, सुर नर मुनि असुर सेवी’ के साथ प्रस्तुति को आगे बढ़ाया। इसें डॉ. शर्मा के गुरु ध्रुवपदाचार्य लक्ष्मण भट्ट तैलंग ने निबद्ध किया है। इसके बाद उन्होंने सूल ताल में बंदिश ‘जोगी महादेव शंभु भोलेनाथ’ पेश की।
अंत में उन्होंने राग भैरवी में मधु भट्ट की चौताल में निबद्ध बंदिश, ‘तुम ब्रह्मा हम आत्मा, तुम जग के परमात्मा’ गायी। डॉ. अंकित पारिख ने पखावज और मो. अमीरुद्दीन ने सारंगी पर संगत की। गौरतलब है कि शास्त्रीय संगीत उत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को रंगायन सभागार में सायं 6 बजे विक्रम श्रीवास्तव की ख्याल गायन प्रस्तुति होगी।