June 18, 2025, 2:31 pm
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दस दिवसीय जैन रामायण कथा का चौथ दिन

जयपुर। राजस्थान जैन युवा महासभा जैन कनेक्ट, दुर्गापुरा जैन मंदिर ट्रस्ट एवं महिला मंडल दुर्गापुरा के संयुक्त तत्वावधान में दिगम्बर जैन मुनि जयकीर्ति के मुखारबिंद से गुलाबी नगरी जयपुर की पुण्य धरा पर पहली बार दुर्गापुरा के श्री दिगम्बर जैन मंदिर चन्द्र प्रभजी में दस दिवसीय जैन रामायण कथा के आयोजन में बुधवार को कथा के चौथ दिन मुनि जयकीर्ति महाराज ने रावण का जन्म, युवा अवस्था का वर्णन, घोर तपस्या, रावण के माध्यम से सीता हरण, जटायु द्वारा सीता रक्षा में प्राण त्यागना, राम का कर्ण विलाप एवं राम द्वारा जिन भक्ति दर्शन के प्रसंगों पर प्रकाश डाला।

सीता हरण का प्रसंग सुनकर श्रोता भावुक हो उठे। कई महिलाओं की आंखों से अश्रु बहने लगे। राजस्थान जैन युवा महासभा के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप जैन एवं प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि कथा के चौथे दिन बुधवार को भगवान चन्द्र प्रभू के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्जवलन किया गया । जिसके बाद सभी अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान किया गया। तत्पश्चात कथा के मुख्य श्रोता राजा श्रेणिक के रुप में जैन कनेक्ट परिवार के सदस्यों का गाजों बाजों के साथ सभागार में जयकारों के बीच आगमन हुआ।

राजा श्रेणिक परिवार परिवार ने मुनि श्री को जिनवाणी भेट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। तत्पश्चात राजा श्रेणिक बने जैन कनेक्ट के अंकुर – करिश्मा पाटनी एवं राहुल-दीपिका गोधा, राज कुमार सेठी ने मुनि श्री से प्रश्न किया कि हे गुरुवर सीता माता का हरण कैसे हुआ? मुनि श्री ने समाधान के रुप में रविषेणाचार्य के माध्यम से रचित प्राचीन जैन ग्रन्थ ‘पद्मपुराण’ में उल्लेखानुसार जैन रामायण कथा का वाचन प्रारम्भ किया। मुनि श्री ने गद्य एवं पद्य के माध्यम से मांगी तुंगी तीर्थ से मोक्ष गए जैन धर्म के आठवें बलभद्र श्री रामचन्द्र के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला।

इस मौके पर प्रदीप जैन, विनोद जैन कोटखावदा, जी सी जैन, मनोज सोगानी, चेतन जैन निमोडिया आदि ने श्रीफल भेट कर मुनि श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर चित्रकूट जैन समाज की ओर से मुनि श्री को अल्प प्रवास के लिए श्रीफल भेट किया गया। प्रात 11 बजे कथा का समापन हुआ।

सायंकाल 7 बजे राजा श्रेणिक परिवार एवं उपस्थित सैकडो श्रद्धालुओं ने जिनेन्द्र देव की आरती के बाद मुनि श्री की भव्य आरती की गई। गुरु भक्ति के आयोजन के बाद पदमप्रभू चालीसा का पाठ, आध्यात्मिक एवं संदेशात्मक भजनों की प्रस्तुति दी गई।

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