June 29, 2025, 7:40 am
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जल जीवन मिशन मामला: कोर्ट में पूर्व मंत्री महेश जोशी ने रखी तीन डिमांड

जयपुर। जल जीवन मिशन (जेजेएम) में 900 करोड़ के घोटाले के मामले में ईडी की टीम पूर्व मंत्री महेश जोशी से पूछताछ कर रही है। पूर्व मंत्री महेश जोशी 28 अप्रेल तक ईडी की रिमांड में हैं। इस दौरान कोर्ट में महेश जोशी ने तीन डिमांड की थी। कोर्ट ने तीनों बात मान ली है। उनकी डिमांड थी कि रिमांड के दौरान घर का खाना मिले, समय पर दवा मिले और उनकी पत्नी की तबीयत बहुत खराब है,उन्हें मिलने दिया जाए।

वहीं महेश जोशी से पूर्व में गिरफ्तार हुए उनके परिचित और जलदाय विभाग के अधिकारियों के सामने बैठा कर पूछताछ की गई। महेश जोशी ने अपने बेटे रोहित जोशी की कंपनी में 50 लाख रुपए डाले थे, उसे लेकर भी ईडी रोहित और उसकी कंपनी से जुड़े लोगों से पूछताछ कर रही है। ईडी के अनुसार महेश जोशी के खिलाफ उनके पास पुख्ता सबूत हैं।

जेजेएम घोटाले को लेकर ईडी ने महेश जोशी से कई सवाल पूछे। साथ ही उन कंपनी के बारे में भी जानकारी ली गई। जिन कंपनियों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर टेंडर दिए गए। महेश जोशी के मंत्री रहते हुए कैसे फर्जी कागजों पर बनी कम्पनी को करोड़ों रुपए के टैंडर मिले। टैंडर जिनको मिले वह महेश जोशी के पारिवारिक रिश्तेदार और दोस्त निकले। जानकार सूत्रों की मानें तो कुछ आरोपियों और इंजीनियर्स ने महेश जोशी का नाम सीधे दौर पर लिया है।

महेश जोशी का हर दिन होगा मेडिकल

कानूनी प्रक्रिया के तहत हर दिन महेश जोशी का मेडिकल कराया जाएगा। उनके शुगर, बीपी की जांच सरकारी अस्पताल के डॉक्टर के द्वारा की जाएगी। जानकारों की मानें तो ईडी महेश जोशी का 28 तारीख को रिमांड कुछ और दिन का भी ले सकती है।

गौरतलब है कि जेजेएम घोटाला केंद्र सरकार की हर घर नल पहुंचाने वाली ‘जल जीवन मिशन योजना’ से जुड़ा है। साल 2021 में श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी के ठेकेदार पदमचंद जैन और महेश मित्तल ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र दिखाकर जलदाय विभाग से करोड़ों रुपए के 4 टेंडर हासिल किए थे।

श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी कार्य प्रमाण पत्रों से पीएचडी की 68 निविदाओं में भाग लिया था। उनमें से 31 टेंडर में एल-1 के रूप में 859.2 करोड़ के टेंडर हासिल किए थे। वहीं, श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 169 निविदाओं में भाग लिया और 73 निविदाओं में एल -1 के रूप में भाग लेकर 120.25 करोड़ के टेंडर हासिल किए थे।

घोटाले का खुलासा होने पर एसीबी ने जांच शुरू की। कई भ्रष्ट अधिकारियों को दबोचा। फिर ईडी ने केस दर्ज कर महेश जोशी और उनके सहयोगी संजय बड़ाया सहित अन्य के ठिकानों पर दबिश दी थी। इसके बाद सीबीआई ने 3 मई 2024 को केस दर्ज किया। ईडी ने अपनी जांच पूरी कर 4 मई को सबूत और दस्तावेज एसीबी को सौंप दिए थे।

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