जयपुर। राज्य सरकार ने आगामी परिवर्तित बजट वित्तीय वर्ष 2024- 25 की तैयारी को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित मीटिंग में कर्मचारी महासंघ / संगठनों के प्रतिनिधियों से सुझाव लिए। मीटिंग में अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने 6 माह के कार्यकाल में कर्मचारियों की समस्याओं को दूर करने के बजाय उन्हें डराने धमकाने का ही कार्य किया है। राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार कर्मचारियों को भयभीत करने के लिए आए दिन नए-नए सर्कुलर जारी कर रही है कभी ड्रेस कोड को लेकर तो कभी अनिवार्य सेवा निवृत्ति को लेकर आदेश जारी किए जा रहे हैं ।इससे कर्मचारियों में काफी नाराजगी है।
राठौड़ ने कहा कि महासंघ (एकीकृत) की प्रमुख मांगों में वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए गठित सामंत कमेटी एवं खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करना, ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) को सुनिश्चित करना, एसीपी का लाभ 9,18 व 27 वर्ष के स्थान पर 8 ,16, 24 व 32 वर्ष पर पदोन्नति पद के सामान देना, ठेका एवं प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से लगे संविदा कर्मियों को शोषण से मुक्त करने के लिए बजट घोषणा 2023 में आरएलएसडीसी के गठन की घोषणा का नोटिफिकेशन जारी करना, राजस्थान कांट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स- 2022 में जनता जल योजना कर्मियों सहित सभी अस्थाई कर्मचारियों को शामिल करना एवं तृतीय श्रेणी अध्यापकों के स्थानांतरण खोलने की मांग प्रमुख है।
राठौड़ ने कहा कर्मचारियों को उम्मीद थी कि राज्य सरकार केंद्र के अनुरूप 1 जनवरी 2024 से ग्रेज्युटी की सीमा 20 लाख से बढ़ाकर 25 लाख करेगी। लेकिन इसके आदेश भी सरकार ने अभी तक जारी नहीं किए हैं। राठौड़ ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि महासंघ (एकीकृत) के लंबित 20 सूत्री मांग पत्र पर शीघ्र उच्च स्तरीय वार्ता आयोजित कर न्यायोचित मांगों का निराकरण किया जाए।