जयपुर। राजधानी जयपुर में रिमझिम बारिश और घने बादलों के बीच मंगलवार सुबह पूर्वांचल की संस्कृति साकार हुई। जहां डाला छठ पूजा महोत्सव में भोजपुरी गीतों की गूंज के बीच हजारों व्रतधारियों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ ‘उगते सूर्य’ को अर्घ्य अर्पित कर 36 घंटे का निर्जला उपवास पूर्ण किया। हालांकि सूर्य देव के दर्शन इस बार बादलों के पार ही रहे।
भोर की बेला में जब व्रती घाटों पर पहुंचे तो आसमान में सूर्य की सुनहरी किरणों की जगह बादलों की चादर तनी थी। आमेर के मावठे, गलता तीर्थ और कानोता बांध सहित शहर के करीब 200 घाटों पर हजारों व्रतधारी महिलाओं ने पारंपरिक वस्त्रों में जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया।
हाथों में सूप-सजाए ठेकुआ, फल और नारियल के साथ उन्होंने छठी मैया से अपने परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना की। आकाश भले ही बादलों से ढका रहा, लेकिन श्रद्धा की रौशनी घाटों पर झिलमिलाती रही।
बिहार समाज संगठन के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी सुरेश पंडित ने बताया कि मौसम की अनिश्चितता के बावजूद आस्था डिगी नहीं। व्रतियों ने उगते सूर्य के स्थान पर आसमान की ओर मुख कर अर्घ्य दिया और जल में खड़े होकर पारंपरिक गीत गाए। कई स्थानों पर श्रद्धालुओं ने प्रतीकात्मक रूप से दीपक जलाकर सूर्य आराधना की। बादलों ने भले ही सूर्य देव को ढक लिया हो,लेकिन व्रतियों की भक्ति और निष्ठा वैसी ही रही। जैसी त्रेता और द्वापर युग से चली आ रही परंपरा में वर्णित है।
उन्होंने बताया कि रामायण काल में भी भगवान राम और माता सीता ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठी मैया की पूजा की थी, वहीं द्वापर युग में द्रौपदी की ओर से भी सूर्य उपासना का उल्लेख मिलता है।
वहीं मुख्य आयोजन एन बी सी के पीछे दुर्गा विस्तार कालोनी पर हुआ । जिसमे यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया । चार दिवसीय महापर्व का पहला दिन नहाय खाय से शुरू हुआ । लोगे के भीड़ उमड़ पड़ी।
सुरेश पंडित ने बताया कि पुलिस प्रशासन एवं बिहार समाज के स्वयंसेवक ने बड़ी मेहनत की । इस पर्व को देखने के लिए दूर दराज से श्रद्धालु पूजा स्थल पर पहुंचे । इतने पटाके छूटे की दिवाली फीकी पर गया। उस तरह से आतिशबाजी किया गया । इस पर्व की खास रौनक बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मुंबई, दिल्ली, गुजरात, बंगाल पड़ोसी देश नेपाल एवं मॉरीशस, इंग्लैंड सहित अन्य देशों में देखने को मिलती है।
समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन शर्मा ने कहा कि आस्था इतनी होती है जैसे ही मनोकामना पूरी हुई वैसे ही इस व्रत को करने की शुरुआत कर देते है । आपसी प्रेम को भी दर्शाता हुआ यह बहुत बड़ा व्रत है ।
जयपुर शहर के विभिन्न क्षेत्रो में बिहार समाज के बैनर तले छठ पूजा का आयोजन किया गया है । जिसमें बांस के बने हुए टोकरी(डाला या दउरा) भी कहते है बांस से बनी सूप घर – घर में खरीदे जाते है । वहीं दूसरा अर्ध्य कार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर इस महापर्व का समापन किया गया ।




















