जयपुर। न्याय और कर्म प्रदाता शनि देव की जयंती छह जून को मनाई जाएगी। ज्येष्ठ महीने की अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत भी है। सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री का व्रत रखेंगी। एम आई रोड, खेजड़ों का रास्ता, मोहल्ला डाकोन, खातीपुरा, अंबाबाड़ी, बापूनगर सहित अन्य स्थानों पर स्थित शनि मंदिरों में सुबह से रात तक धार्मिक आयोजन होंगे। दोपहर बाद रंगीन बर्फ और फूल बंगला झांकी सजाई जाएगी।
अमावस्या पर गोशालाओं में गायों को हरा चारा और गुड़ खिलाया जाएगा। पितरों के निमित्त हवन और तर्पण किया जाएगा। जयपुर। सांगानेर में प्रताप नगर सेक्टर-8 के बस स्टैंड पर स्थित श्री शनिदेव मंदिर में 6 जून को भगवान शनिदेव का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। मंदिर के महंत मोहनलाल भार्गव ने बताया कि शनिदेव को पंचामृत से अभिषेक करवाकर नई पोशाक धारण कराई जाएगी। खीर, मालपुए का भोग लगाया जाएगा। इसके बाद श्रद्धालुओं में प्रसादी वितरित की जाएगी।
कुंभ राशि में विराजमान है शनि
शनि इस समय अपनी स्वयं की राशि और मूल त्रिकोण राशि कुंभ में विराजमान हैं। जिससे कुछ राशि के लोगों पर यह लाभकारी तो कुछ राशि वाले जातकों के ऊपर कष्टकारी साबित हो रहे हैं। इस वर्ष 6 जून को शनि जयंती पड़ रही है। ऐसे में कुछ राशियों पर शनिदेव की विशेष कृपा पड़ेगी तो कुछ राशि वालों को कष्टों से दो-चार होना पड़ सकता है। दरअसल शनि जयंती के दिन राहु शनि की युति से द्वादश योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही मंगल का अपनी स्वयं की राशि मेष में आने मंगल की दृष्टि शनि पर पड़ रही है। जिस कारण से अशुभ योग का निर्माण होगा।
इस तिथि पर कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार 6 जून को धृति योग के साथ शिव वास योग का निर्माण हो रहा है। जिसका प्रभाव सभी 12 राशियों के जातकों पर पड़ेगा लेकिन कुछ राशियां ऐसी हैं जिनका भाग्य बदलने वाला है। शनि जयंती को लेकर मान्यता है कि जो लोग इस दिन पर शनि देव का पूजन करते है, उन्हें शनि की महादशा से मुक्ति मिल सकती है। ये दोनों पर्व एक ही दिन पर मनाए जाएंगे।