जयपुर। दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों का दशलक्षण महापर्व रविवार से शुरू हुआ। पहले दिन वीतराग धर्म का पहला लक्षण उत्तम क्षमा भक्ति भाव से मनाया गया। वही सोमवार को वीतराग धर्म का उत्तम मार्दव लक्षण मनाया जाएगा।
राजस्थान जैन युवा महासभा के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि दिगम्बर जैन मंदिरों में प्रातः श्री जी के अभिषेक, शांतिधारा के बाद दशलक्षण धर्म की विधान मंडल पर अष्ट द्रव्य से पूजा अर्चना की गई। चातुर्मास स्थलों पर संतो ने उत्तम क्षमा पर प्रवचन दिया।
क्षमा ग्रहण करने से इस भव के साथ अगले जन्म में भी सुख मिलता है। गाली सुनकर भी जिसके ह्दय में खेद उत्पन्न न हो वह उत्तम क्षमावान है। क्रोध का अभाव क्षमा है। इसलिए कहा गया है कि क्षमा वीरस्य भूषणम् अर्थात क्षमा वीरों का आभूषण है। अत: मनुष्य को जीवन में कभी भी क्रोध नहीं करना चाहिए। सायंकाल आरती एवं प्रतिक्रमण के आयोजन हुए।
विनोद जैन के मुताबिक श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चूलगिरी पर भगवान पार्श्वनाथ के अभिषेक, शांतिधारा के बाद सामूहिक पूजा अर्चना की गई। मीरामार्ग के सैक्टर 9 स्थित सामुदायिक केन्द्र पर मुनि प्रणम्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में दशलक्षण महापर्व मनाया गया। । इस मौके पर दस दिवसीय स्व धर्म श्रावक संस्कार साधना शिविर का शुभारंभ हुआ जिसमें पूरे देश से बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण शामिल हुए। अध्यक्ष सुशील पहाड़िया एवं मंत्री राजेन्द्र सेठी ने बताया कि शिविर में प्रातः 5 बजे से रात्रि साढ़े 8 बजे तक आत्म साधना के साथ पूजा भक्ति के विशेष आयोजन किए गए ।
प्रातः 7 बजे श्रेष्ठी अनिल, सुनील, राकेश गंगवाल, शुभम, यश, लक्की गंगवाल ने ध्वजारोहण कर शिविर का शुभारंभ किया। इससे पूर्व प्रातःसाढ़े 5 बजे से 7 बजे तक अर्हम ध्यान योग कराया गया। वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील बैनाडा के अनुसार इस मौके पर उत्तम क्षमा धर्म पर मुनि प्रणम्य सागर महाराज के विशेष प्रवचन हुए ।
शिविर में तत्वार्थ सूत्र का विधान प्रारंभ हुआ जिसमें सौधर्म इन्द्र मनीष, प्रमेय, सोनम, कुबेर इन्द्र प्रेम देवी, पारस, राजीव, संजय कासलीवाल कुम्हेर वाले, चक्रवर्ती छुट्टन देवी सुशील पहाड़िया ने सौभाग्य प्राप्त किया।
मुनि श्री ने अपने प्रवचन में तत्वार्थ सूत्र के प्रथम अध्याय के 32 सूत्रों का अर्थ व मर्म बताते हुए अर्घ्य समर्पित करवाए। मुनि श्री ने मोक्ष प्राप्ति के उपाय, तत्व और उनका अर्थ, प्रमाण – नय, और 5 ज्ञानो का अर्थ व मर्म समझाया। इससे पूर्व धर्म सभा का दीप प्रज्जवलन व मुनि श्री प्रणम्य सागर महाराज के पाद पक्षालन का पुण्यार्जन व्रती श्राविका प्रतिभा जैन, सुषमा जैन यूएस ए ने प्राप्त किया। प्रतिक्रमण पाठ सहित रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम किए गए।
विनोद जैन कोटखावदा के अनुसार में दुर्गापुरा के श्री चन्द्र प्रभू दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि पावन सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में दशलक्षण महापर्व पूजा की गई। तारो की कूट स्थित श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सूर्य नगर में दशलक्षण महापर्व मनाया गया जिसमें प्रातः अभिषेक, शांतिधारा के बाद उत्तम क्षमा धर्म की पूजा की गई। रात्रि में सांस्कृतिक आयोजन किए गए। जिसमें आरती के बाद धार्मिक अन्ताक्षरी करवाई गई।
वीतराग धर्म का उत्तम मार्दव लक्षण पर्व सोमवार को
सोमवार को वीतराग धर्म का उत्तम मार्दव लक्षण मनाया जाएगा। प्रातः मंदिरों में अभिषेक, शांतिधारा के बाद दशलक्षण धर्म की पूजा की जावेगी। चातुर्मास स्थलों पर संतो के प्रवचन होगे। विनोद जैन के मुताबिक दशलक्षण महापर्व मंगलवार 17 सितम्बर तक चलेगा । 12 सितम्बर तक पुष्पांजलि व्रत, 17 सितम्बर तक दशलक्षण व्रत किए जाऐंगे । इस दौरान धर्म के 10 लक्षणों की पूजा आराधना की जाएगी । प्रतिदिन एक धर्म पर विशेष प्रवचन होगा। 13 सितम्बर को सुगंध दशमी मनाई जाएगी । इस दिन मंदिरों में ज्ञान वर्धक तथा संदेशात्मक झांकियां सजाई जाएगी ।
17 सितम्बर को अनन्त चतुर्दशी एवं दशलक्षण समापन कलश होगें । 18 सितम्बर को षोडशकारण समापन कलश एवं पड़वा ढोक क्षमा वाणी पर्व मनाया जाऐगा। इस दौरान दिगम्बर जैन मंदिरों में पूजा अर्चना के विशेष आयोजन होगें।