June 30, 2025, 7:27 pm
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चैत्र शुक्ल प्रतिपदा उत्सव पर निकला संघ का विशाल पथ संचलन

जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जयपुर महानगर के ऋषि गालव भाग की ओर से वर्ष प्रतिपदा उत्सव एवं विशाल पथ संचलन के अवसर पर क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने कहा कि स्वयंसेवक प्रतिदिन शाखा में संस्कार सीखते हुए अथवा उनका पुनर्स्मरण करते हुए, अपने दैनंदिन जीवन में उनका प्रकटीकरण करते हैं। वे मन, वचन और कर्म से राष्ट्र-देव की आराधना करते हुए, नित्य बोले जाने वाली प्रार्थना के अनुरूप एक संकल्प, एक दृष्टि और एक विचार के साथ एकात्म होकर लक्ष्य प्राप्ति के लिए निरंतर साधनारत रहते हैं। आज देशभर में 83,000 नियमित शाखाएँ संचालित हो रही हैं, जहाँ प्रतिदिन 8 लाख से अधिक स्वयंसेवक भारत माता की जयघोष के साथ नित्य प्रार्थना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज हमारा नव संवत्सर का दिन है। एक समय था जब भारतीय नव वर्ष की चर्चा या जानकारी बहुत सीमित थी, लेकिन आज की स्थिति देखकर खुशी होती है। यह परिवर्तन हमारे सतत प्रयासों का परिणाम है। आज समाज उत्साह और उल्लास के साथ नव वर्ष मना रहा है। अपने उत्सवों में महापुरुषों को जोड़ते हुए, तिलक और ध्वज लगाते हुए, मांगलिक प्रतीकों का उपयोग करते हुए तथा पावन नवरात्र के प्रारंभ के साथ, चारों ओर नव वर्ष का जयगान गूंज रहा है।

आज राजस्थान का स्थापना दिवस भी है। विद्वानों के अनुसार, राजस्थान स्थापना दिवस की घोषणा सरदार पटेल ने चैत शुक्ल प्रतिपदा, विक्रम संवत 2006 के दिन की थी। राजस्थान के विकास के लिए सामंजस्य, सौहार्द और समरसता के साथ आगे बढ़ना होगा। इस गौरव और गर्व को बनाए रखने के लिए शासन और समाज, दोनों को मिलकर निरंतर प्रयास करना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि प्रतिनिधि सभा में पारित संकल्प प्रत्येक स्वयंसेवक के लिए मार्गदर्शक है। इसे समझकर और उसके अनुरूप योगदान देना आवश्यक है। शताब्दी वर्ष में अपनी शाखा को सर्वस्पर्शी एवं सर्वग्राही बनाने के प्रयासों को और अधिक बढ़ाना होगा। पंच परिवर्तन के माध्यम से समाज परिवर्तन की प्रक्रिया हमें स्वयं से प्रारंभ करनी होगी और समाज को भी इसके लिए प्रेरित करना होगा। मातृशक्ति को संघ कार्यों से जोड़ते हुए, शताब्दी वर्ष के लक्ष्यों को पूर्ण करने का संकल्प लेना है। समाज के प्रबुद्ध एवं सज्जन शक्तियों को साथ लेकर, समाज निर्माण के अंतर्गत होने वाले सभी सकारात्मक कार्यों में सहयोग प्रदान करते हुए आगे बढ़ना होगा।

संचलन में करीब 5,000 स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में अनुशासनबद्ध तरीके से कदमताल करते हुए शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जगद्गुरु आश्रम, जयपुर के महंत स्वामी अक्षयानंद थे । इस अवसर पर राजस्थान क्षेत्र के संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल और ऋषि गालव भाग संघचालक अशोक जैन भी मंचासीन थे। कार्यक्रम के आरंभ में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित प्रस्ताव ‘बांग्लादेश के हिन्दू समाज के साथ एकजुटता के साथ खड़े रहने’ का वाचन हुआ।

अपने उद्बोधन में महंत स्वामी अक्षयानन्द जी, जगद्गुरु आश्रम ने कहा कि संघ के संस्थापक डॉ हेगवार दूरदर्शी थे, उन्होंने भविष्य को ध्यान में रखकर संगठन का निर्माण किया।

भव्य स्वागत एवं पुष्पवर्षा

स्वयंसेवकों के पथ संचलन के दौरान विभिन्न मोहल्ला विकास समितियों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। शहर के प्रमुख स्थानों पर नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर स्वयंसेवकों का उत्साहवर्धन किया गया। जयपुर की सड़कों पर यह अद्भुत दृश्य था, जब हजारों स्वयंसेवक एक साथ कदम से कदम मिलाकर देशभक्ति की भावना को प्रदर्शित कर रहे थे।

संघ के 6 उत्सवों में से एक – वर्ष प्रतिपदा उत्सव

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा मनाए जाने वाले छह प्रमुख उत्सवों में से एक, वर्ष प्रतिपदा का विशेष महत्व है। इस दिन को हिंदू नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। इस अवसर पर अनुशासनबद्ध तरीके से पथ संचलन निकाला गया। इस पथ संचलन में हजारों स्वयंसेवक अनुशासित रूप से शामिल हुए और अपने प्रदर्शन के माध्यम से एकता एवं अखंडता का संदेश दिया।

घोष वादन एवं अनुशासनबद्ध कदमताल

संघ के स्वयंसेवकों ने घोष वादन के माध्यम से अनुशासन और कला का अद्भुत प्रदर्शन किया। विभिन्न वाद्य यंत्रों, जैसे आनक (साइड ड्रम), त्रिभुज (ट्रायंगल), वंशी (बांसुरी), शंख (बिगुल) और प्रणव (बॉस ड्रम) के समन्वित वादन ने एक अनुपम संगीत प्रस्तुति दी। घोष की लयबद्ध ध्वनि के साथ स्वयंसेवक अनुशासनबद्ध रूप से कदमताल करते हुए आगे बढ़े। इस दौरान “किरण,” “उदय,” “श्रीराम” और “सोनभद्र” जैसी प्रसिद्ध घोष रचनाओं का वादन किया गया, जिससे वातावरण भक्तिमय और प्रेरणादायक बन गया।

पथ संचलन का मार्ग एवं जनता की सहभागिता

जयपुर में आयोजित इस भव्य पथ संचलन का मार्ग पूर्व निर्धारित था। संचलन महाराजा कॉलेज से प्रारंभ होकर अजमेरी गेट, छोटी चौपड़, त्रिपोलिया गेट, बड़ी चौपड़, सांगानेरी गेट और मोती डूंगरी रोड से गुजरते हुए रामनिवास बाग पहुंचा, फिर पुनः महाराजा कॉलेज पर समाप्त हुआ। पथ संचलन के दौरान हजारों की संख्या में शहरवासी सड़कों के दोनों ओर खड़े होकर स्वयंसेवकों का उत्साहपूर्वक अभिवादन कर रहे थे।

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