दुर्गा शक्ति और भगवान राम का पूजन कर यज्ञ में दी आहुतियां

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After worshipping Durga Shakti and Lord Ram, offerings were made in the yagya
After worshipping Durga Shakti and Lord Ram, offerings were made in the yagya

जयपुर। चैत्र के वासंतिक नवरात्र रविवार को कन्या पूजन और हवन के साथ संपन्न हुए। मां दुर्गा और भगवान राम के मंदिरों में यज्ञ में आहुतियां अर्पित की गई । मां दुर्गा और भगवान राम के मंत्रों से विशिष्ट आहुतियां प्रदान की गई। इसी कड़ी में गायत्री परिवार के सभी प्रज्ञा केंद्रों पर पंच कुंडीय और नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ तथा संस्कार महोत्सव के कार्यक्रम हुए। गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी, गायत्री शक्तिपीठ वाटिका, गायत्री शक्तिपीठ कालवाड़ और किरण पथ मानसरोवर स्थित गायत्री वेदना निवारण केंद्र में नवरात्रीय अनुष्ठान की पूर्णाहुति में हजारों लोगों ने यज्ञ में आहुतियां अर्पित की।

गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी में व्यवस्थापक सोहनलाल शर्मा सह व्यवस्थापक और मणि शंकर चौधरी के सानिध्य में प्रारंभ में देव माता गायत्री और गुरु सत्ता का पूजन किया गया। आचार्य पीठ से दिनेश भारद्वाज, डॉ अजय भारद्वाज, दिनेश कुमार और दृष्टि ने विधि विधान और प्रज्ञा गीतों के साथ यज्ञ संपन्न कराया। चार पारियों में करीब पांच सौ श्रद्धालुओं ने यज्ञ किया। आचार्य पीठ से लोगों दुष्ट प्रवृत्तियों का डटकर मुकाबला करने के लिए संगठित होने और बेटियों पर हो रहे अत्याचार रोकने के लिए उनकी सुरक्षा का संकल्प कराया गया।

डॉ अजय भारद्वाज ने कहा कि जिस प्रकार असुरों का सामना करने के लिए सभी देवताओं ने संगठित होकर मुकाबला किया वैसे ही हमें आसुरी शक्तियों का मुकाबला करने के लिए सभी मतभेद भूल कर एकजुट होना होगा ।।यही दुर्गा पूजन की सार्थकता है।किरण पथ मानसरोवर के वेदना निवारण केन्द्र में तीन पारियों में करीब पांच सौ लोगों नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ में आहुतियां दीं। सुनील भारद्वाज, शालिनी शर्मा एवं सावित्री यादव ने यज्ञ संपन्न कराया।कार्यक्रम में ओम प्रकाश अग्रवाल, सतीश भाटी, भोजराज पारीक , बृजेश रावत ,केदार शर्मा सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

वेदना निवारण में 8 दिन चले नवरात्र अनुष्ठान में करीब 15 लाख गायत्री मंत्र के जाप किए गए। इस मौके पर सभी प्रज्ञा केंद्रों पर दीक्षा, पुंसवन, यज्ञोपवीत, अन्नप्राशन, नामकरण सहित अन्य संस्कार भी कराए गए । एक बुराई छोड़ने और एक अच्छाई ग्रहण करने के बाद यज्ञ की पूर्णाहुति हुई। कन्या पूजन के बाद भंडारा प्रसादी हुई।

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