June 30, 2025, 1:44 pm
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जनसंघ की स्थापना करने वाले 14 लोगों की पार्टी 14 करोड़ कार्यकर्ताओं का बना संगठन: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा

जयपुर। भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर भाजपा प्रदेश कार्यालय में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि “ ये दिन केवल स्मरण का नहीं, प्रेरणा का दिन है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नारा दिया ‘एक देश में दो विधान, दो निशान नहीं चलेंगे’, वह कोई राजनीतिक नारा नहीं था, बल्कि राष्ट्र की एकता और अखंडता का प्रतीक था और भारत की आत्मा की पुकार था। उन्होंने कहा कि जनसंघ की स्थापना कर वैकल्पिक राजनीतिक विचारधारा को जन्म देने वाली 14 लोगों की पार्टी आज 14 करोड़ कार्यकर्ताओं का संगठन बनकर विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने राष्ट्रवाद को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। “जहां हुए बलिदान मुखर्जी, वो कश्मीर हमारा है” का नारा आज भी जीवंत है। कश्मीर से धारा 370 हटाने की उनकी प्रतिबद्धता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साकार किया। राम मंदिर निर्माण हो या अनुच्छेद 370 का समाप्त होना, यह सब उनकी दूरदर्शी सोच और बलिदान का परिणाम है। मुख्यमंत्री ने सभी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि “डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों के भारत को साकार करने के लिए हम सबको मिलकर कार्य करना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत का जो संकल्प लिया गया है, उसे हम सभी को पूरा करना होगा।”

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कांग्रेसी नेताओं के सोशल मीडिया पर किए जा रही पोस्ट पर चुटकियां लेते हुए कहा कि कांग्रेसी नेता सिर्फ सोशल मीडिया तक सिमट कर रह गए। कांग्रेसी कहते है कि सीएम रुकते नहीं, जबकि मैं कहता हूं कि होटलों में रुकने के लिए तो कांग्रेसी ही काफी है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि कुछ लोग कह रहे है बिजली नहीं आ रही, मुझे बता तो दो कहा नहीं आ रही, मैं डेढ़ साल का हिसाब और आप अपना पुराना पाँच का हिसाब लेकर आ जाना बता दूँगा। मैंने डेढ़ साल में तुम्हारे पाँच सालों को पीछे छोड़ दिया है।

कांग्रेस सरकार के 5 साल में बिजली उत्पादन, घरेलू और कृषि कनेक्शन जारी करने के आंकड़ों की तुलना हमारी सरकार के 1.5 साल में किए गए कार्य से करें तो वस्तुस्थिति स्पष्ट हो जाएंगी। कांग्रेसी ट्वीट करते है जबकि हमारी सरकार धरातल पर काम कर रही है। “कांग्रेस ने हमेशा भेदभाव की राजनीति की और गरीबी हटाओ का नारा देकर गरीबों को लूटा, जबकि भाजपा की विचारधारा ‘राष्ट्र प्रथम’ की है।

हमारी सरकारें गरीब, महिला, किसान और युवा के लिए निरंतर कार्य कर रही हैं।” कांग्रेस की इसी गरीबों को लूटने वाली नीति के चलते जो पार्टी पंचायत से लेकर संसद तक थी, वह राष्ट्रवाद से हार गई। भाजपा राष्ट्र के लिए समर्पित विचारधारा की पार्टी है।” भाजपा समर्पित कार्यकर्ताओं की फौज है, जो सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचा रही है। हम संगठन और सेवा—दोनों क्षेत्रों में समान रूप से सक्रिय हैं।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि भाजपा कल से पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय पखवाड़ा का आयोजन करेगी। इसमें अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुँचाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रदेश की डबल इंजन सरकार ने बजट में 5 हजार गांवों को बीपीएल मुक्त करने के लिए घोषणा की थी। इस बजट घोषणा के क्रियान्वयन में भाजपा सरकार ने 300 करोड़ का बजट जारी किया। अब इस पखवाड़े में ही इन 5000 गांवों को BPL मुक्त कर दिया जाएगा। गरीब कल्याण और विकास की योजनाओं को तीव्र गति से लागू किया जा रहा है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कार्यक्रम के बाद प्रत्येक कार्यकर्ताओं से मुलाकात की।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि डॉ. मुखर्जी राष्ट्रभक्ति, सांस्कृतिक चेतना और राजनीतिक शुद्धिकरण के प्रेरणास्रोत हैं। उनका जीवन एक विचार, एक उद्देश्य और एक समर्पण की मिसाल है। “मुखर्जी जी का परिवार स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा था। राष्ट्रवाद की भावना उन्हें विरासत में मिली। बंगाल विभाजन के समय उन्होंने आंदोलन किया, विधानसभा से इस्तीफा दिया और निर्दलीय चुनाव जीतकर लोगों की आवाज बने।” मुखर्जी जी स्वतंत्र भारत की पहली सरकार में मंत्री बने, परंतु जब उन्होंने सरकार में तुष्टीकरण और सांस्कृतिक अपमान देखा तो इस्तीफा दे दिया।

उस समय कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित कबायली हमला हुआ। कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय की इच्छा जताई, पर प्रधानमंत्री नेहरू ने समय तक नहीं दिया। परिणामस्वरूप आधा कश्मीर पाक अधिकृत हो गया। मुखर्जी को यह स्वीकार नहीं था कि भारत में दो विधान, दो संविधान और दो निशान हों जबकि कश्मीर भारत का अंग था। उन्होंने इस अन्याय का विरोध किया।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि “नेहरू सरकार निरंकुश थी, शेख अब्दुल्ला से उनके व्यक्तिगत रिश्ते राष्ट्रहित पर हावी हो गए। विरोध करने वालों को कुचला गया। डॉ. मुखर्जी ने सत्य और राष्ट्रहित के लिए मंत्री पद त्याग किया। उन्होंने बताया कि जनसंघ की स्थापना मुखर्जी ने पं. दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर की थी। पहले ही चुनाव में पार्टी ने 3 सांसद और 23 विधायक जीतकर राजनीतिक विकल्प के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

कश्मीर में लागू विशेष कानूनों के तहत भारत के नागरिकों को बिना अनुमति प्रवेश नहीं मिलती थी। यह डॉ. मुखर्जी को मंजूर नहीं था। उन्होंने बिना अनुमति कश्मीर जाने का संकल्प लिया और 1953 में 23 जून को उनके बलिदान की खबर आई। उनकी मृत्यु संदेहास्पद थी, लेकिन सरकार ने जांच तक नहीं करवाई। मात्र 51 वर्ष की उम्र में एक राष्ट्रभक्त की मृत्यु हुई।

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