जयपुर। सुभाष चौक पानो का दरीबा स्थित श्री शुक संप्रदाय की आचार्य पीठ श्री सरस निकुंज में श्रीमद् भागवत कथा का शनिवार को विश्राम हुआ। श्री शुक सम्प्रदाय पीठाधीश अलबेली माधुरी शरण जी महाराज ने प्रारंभ में व्यासपीठ और भागवत जी का पूजन किया। व्यासपीठ से वृंदावन की धीर समीर पीठ के महंत मदन मोहन दास जी महाराज ने सुदामा चरित्र, कलियुग वर्णन, नव योगेश्वर संवाद, भागवत सार और परीक्षित मोक्ष की कथा का श्रवण कराया।
मदन मोहन दास जी महाराज ने कहा कि मृत्यु जीवन का शाश्वत सत्य है। यह अटल है। जिसका जन्म हुआ है वह निश्चित रूप से मृत्यु को प्राप्त होगा। इसलिए निर्भय होकर मृत्यु का वरण करना चाहिए। वास्तव में मृत्यु नए जीवन की शुरुआत है। सुदामा प्रसंग में उन्होंने कहा कि भगवान से भक्ति के बदल कुछ प्राप्त होने का भाव नहीं रखना चाहिए। निष्काम भाव से भक्ति करते रहना चाहिए। भगवान सब जानते है कब किसको कितना देना है। मांग कर भगवान की व्यवस्था में दखल नहीं देना चाहिए। श्री सरस परिकर के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया ने आभार प्रकट किया।