May 21, 2025, 11:53 pm
spot_imgspot_img

जल जीवन मिशन घोटाला मामला: पूर्व मंत्री महेश जोशी छह दिन जेल में रहेंगे और फिर तीन दिन जमानत पर बाहर आएंगे

जयपुर। जल जीवन मिशन के 900 करोड़ के घोटाले के मामले में आरोपी पूर्व मंत्री महेश जोशी को तीन दिन की अंतरिम जमानत मिली है। उन्हें 8 से 10 मई तक की अंतरिम जमानत मिली है। इससे पहले 6 दिन (2 मई से 7 मई) जेल में रहना होगा। अब उन्हें 11 मई को सुबह 8 बजे तक सरेंडर करना होगा। ईडी मामलों की विशेष अदालत के जज खगेन्द्र कुमार शर्मा ने अंतरिम जमानत दी है। गुरुवार को महेश जोशी की ओर 9 दिन की अंतरिम जमानत मांगी गई थी। इस पर सुनवाई पूरी करने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

महेश जोशी के वकील दीपक चौहान ने बहस कर कहा था कि जोशी को अपनी पत्नी के निधन से जुड़े रीति रिवाज निभाने हैं। इस दुख की घड़ी में बड़ी संख्या में लोग उनके घर पर पहुंच रहे हैं। ऐसे में महेश जोशी का मौजूद रहना जरूरी है। वहीं, पत्नी की 13वीं से पहले और उस दिन के अन्य रीति-रिवाज महेश जोशी के हाथों से ही संपन्न होना जरूरी है। ऐसे में उन्हें 9 दिन की अंतरिम जमानत और दी जाए। वहीं, दूसरी तरफ अंतरिम जमानत की मियाद खत्म होने पर महेश जोशी गुरुवार शाम जयपुर सेंट्रल जेल पहुंच गए। उन्होंने रात जेल में ही बिताई।

गौरतलब है कि महेश जोशी को प्रवर्तन निदेशालय ने 24 अप्रेल को गिरफ्तार किया था। सोमवार को रिमांड खत्म होने पर कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। उनकी पत्नी की मौत होने कोर्ट ने 28 अप्रेल को महेश जोशी को 4 दिन की अंतरिम जमानत दी थी। गुरुवार को महेश जोशी की ओर से कोर्ट में जमानत याचिका लगाई गई थी।

जेजेएम घोटाले में अब तक पीयूष जैन, पदम चंद जैन, महेश मित्तल और संजय बड़ाया की गिरफ्तारी हो चुकी है। जेजेएम घोटाला केंद्र सरकार की हर घर नल पहुंचाने वाली ‘जल जीवन मिशन योजना’ से जुड़ा है। साल 2021 में श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी के ठेकेदार पदमचंद जैन और महेश मित्तल ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र दिखाकर जलदाय विभाग से करोड़ों रुपए के 4 टेंडर हासिल किए थे।

श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी कार्य प्रमाण पत्रों से पीएचईडी की 68 निविदाओं में भाग लिया था। उनमें से 31 टेंडर में एल-1 के रूप में 859.2 करोड़ के टेंडर हासिल किए थे। श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 169 निविदाओं में भाग लिया और 73 निविदाओं में एल -1 के रूप में भाग लेकर 120.25 करोड़ के टेंडर हासिल किए थे।

घोटाले का खुलासा होने पर एसीबी ने जांच शुरू की। कई भ्रष्ट अधिकारियों को दबोचा। फिर ईडी ने केस दर्ज कर महेश जोशी और उनके सहयोगी संजय बड़ाया सहित अन्य के ठिकानों पर दबिश दी थी। इसके बाद सीबीआई ने 3 मई 2024 को केस दर्ज किया। ईडी ने अपनी जांच पूरी कर 4 मई को सबूत और दस्तावेज एसीबी को सौंप दिए थे।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

25,000FansLike
15,000FollowersFollow
100,000SubscribersSubscribe

Amazon shopping

- Advertisement -

Latest Articles