जयपुर। शहर के सोडाला थाना इलाके के सिविल लाइंस स्थित एक सरकारी शिक्षक ने मंत्री के आवास पहुंचकर रिश्वत देने का प्रयास करने का मामला सामने आया है। जानकारी में सामने आया कि आरोपित शिक्षक पाठ्यक्रम समिति में शामिल होने के लिए जनसुनवाई के दौरान प्रार्थना पत्र लेकर आया था। इसके साथ एक लिफाफा और मिठाई का डिब्बा भी था।
लिफाफे में पांच हजार रुपए थे। मामले की जानकारी मिलने पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने सोडाला थाना पुलिस को सूचना दी । मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपित शिक्षक को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
पुलिस के अनुसार रुपयों का लिफाफा देने वाले युवक का नाम चंद्रकांत वैष्णव है और वह बांसवाड़ा के घाटोल ब्लॉक में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बुधा में कार्यरत है। पुस्तक लेखन का काम राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद करती है। उसी लेखन प्रक्रिया में आरोपित शिक्षक स्वयं को शामिल करवाना चाहता है। इसी मंशा के साथ सोमवार सुबह चंद्रकांत मंत्री के जयपुर के सिविल लाइंस स्थित आवास पर पहुंचा था।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बताया कि वह सोमवार सुबह जनसुनवाई कर रहे थे। उसी दौरान सरकारी शिक्षक चंद्रकांत वैष्णव ने पाठ्यक्रम समिति में शामिल करने की मांग के लिए प्रार्थना पत्र लेकर आया। इसके साथ शिक्षक एक लिफाफा और मिठाई का डिब्बा भी लाया।
लिफाफे में पांच हजार रुपए थे तो उन्होंने सामान्य लिफाफा समझ कर रख लिया। क्योंकि रोज सिफारिश के पत्र के साथ कई लिफाफे आते हैं। जब लिफाफा संदिग्ध दिखा तो उसमें पांच हजार रुपए थे। इस पर पुलिस को सूचित किया गया। पुलिस अपने स्तर पर पूछताछ कर रही तो वहीं विभाग की एक अलग टीम भी जांच में जुटी है।
आरोपित टीचर एबीवीपी और संघ की विचारधारा से जुड़ा होना बताया
सरकारी शिक्षक ने पत्र में लिखा कि ‘वह छात्र जीवन से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी)और संघ की विचारधारा से जुड़ा है। भारतीय मजदूर संघ जैसे संगठन से जुड़ा है। इसके अलावा शिक्षा विभाग में विभागीय गतिविधियों में कई महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन कर चुका है। वर्तमान सरकार की मंशानुसार नई पाठ्यपुस्तक निर्माण समिति कक्षा 6-8 विज्ञान विषय में लेखक के रूप में शामिल करने की अनुशंसा करवाने की श्रम कराए।
35–36 साल की राजनीति में पहली घटना
मंत्री दिलावर ने कहा कि यह मेरे जीवन की पहली घटना है। उनकों लगभग 35 – 36 साल राजनीति में हो गए। लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। जब किसी को ये लगा हो कि शिक्षा मंत्री पैसे देकर काम करते हैं। पहले परंपराएं रही होगी। इसलिए आरोपित शिक्षक ने हिम्मत की है। ये दुखद बात है कि लोगों की सोच ये है कि शिक्षा मंत्री पैसे लेते हैं।