जयपुर। जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित वाद्य महोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को सरोद वादन और की-बोर्ड की सुमधुर ध्वनियों से प्रांगण गूंज उठा। इस मौके पर पं. सुगातो रॉय चौधरी ने सरोद वादन की प्रस्तुति दी तो वहीं पं. विजय चंद्र ने संगत कलाकारों के साथ वाद्य यंत्रों की सुरीली धुनों से श्रोताओं को सराबोर कर दिया। वाद्य महोत्सव के आखिरी दिन 17 अप्रैल को डॉ. विकास गुप्ता सितार वादन और पं. राजेन्द्र बनर्जी हारमोनियम वादन से कार्यक्रम का समापन करेंगे।
शास्त्रीय संगीत के सुरों से सजी इस संध्या की शुरुआत पं. विजय चंद्र ने राग अभोगी के साथ की, उन्होंने मध्य लय में विलंबित नौ मात्रा की आकर्षक प्रस्तुति दी, जिसके बाद द्रुत तीन ताल में निबद्ध प्रस्तुति ने कार्यक्रम में रंग भर दिए। भावपूर्ण गहराई से भरी अंतिम प्रस्तुति भैरवी धुन पर रही जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान पखावज पर पंकज, तानपुरा पर रमेश कुमार, तबले पर सुजीत और सुरमंडल पर विवेक विशाल ने संगत की।
दूसरी प्रस्तुति में सरोद वादक पं. सुगातो रॉय चौधरी ने राग मधुमालती को अपने सधे हुए अंदाज़ में प्रस्तुत किया। इसके बाद उन्होंने फरमाइशी रागों की विशेष प्रस्तुति दी जिससे यह संध्या और भी सुरीली बन गई। प्रस्तुति में बाबर लतीफ ने तबले पर संगत की।
जवाहर कला केंद्र:18 व 19 अप्रैल को जयपुर नाट्य समारोह का आयोजन
जवाहर कला केंद्र की ओर से 18 व 19 अप्रैल को जयपुर नाट्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर मुख्य रूप से दो नाटकों का मंचन होगा। 18 अप्रैल को नाटक ‘चंडालिका’ का मंचन होगा जिसकी कहानी रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखी है और नाट्य रूपांतरण व निर्देशन ओम प्रकाश सैनी का है। वहीं 19 अप्रैल को नाटक ‘पर्दा उठने से पहले’ खेला जाएगा जिसे राजेंद्र कुमार शर्मा ने लिखा है और नाट्य रूपांतरण व निर्देशन हिमांशु झांकल का है। यह दोनों नाटक रंगायन सभागार में सायं 7:00 बजे मंचित होंगे व प्रवेश नि:शुल्क रहेगा।