जयपुर। परम पूज्य गुरूदेव सद्गुरूनाथ जी महाराज द्वारा 21 से 25 दिसम्बर 2023 तक श्री मुत्युंजय शिव महापुराण कथा का भव्य आयोजन स्वामी लीलाशाह भवन एवं डॉल्फिन स्कूल के पास, राणा सांगा मार्ग, सेक्टर-28 प्रताप नगर, जयपुर में दोपहर 1 से 4 बजे तक किया गया। पहले दिन से कथा के समापन तक लोगों का गजब का उत्साह देखने को मिला। जयपुर ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न प्रांतों से शिवमहापुराण कथा का श्रवण करने के लिए लोगों का आना निरंतर जारी रहा।
सद्गुरूनाथ जी महाराज की प्रसिद्धि इतनी है कि हर कोई इनके द्वारा सुनाए जा रहे शिवमहापुराण कथा एवं दुःख निवारण शिविर के बारे में जानता है। देश के विभिन्न प्रांतों में जहां भी गुरूदेव का आगमन होता है, लोग अपनी समस्या लेकर गुरूदेव के पास पहुंचते हैं और सद्गुरूनाथ जी महाराज किसी को निराश नहीं करते हैं। हर प्रकार की समस्या का समाधान गुरूदेव चुटकी बजाते ही कर देते हैं। इसलिए देश के हर राज्य के लोगों से सद्गुरूनाथ जी महाराज का आत्मीय लगाव रहता है।
इन्होंने सनातन धर्म के ध्वज को शिव महापुराण कथा के द्वारा जन-जन तक पहुंचाने का जो भगीरथ प्रयास किया है, वो काबिलेतारीफ है। कथा में आए हुए भक्तजन जब गुरूवर के मुख से शिवमहापुराण कथा का श्रवण करते हैं तो भाव-विभोर होकर शिवभक्ति में लीन हो जाते हैं और नाचने-गाने लगते हैं।
कथा के दौरान सद्गुरूनाथ जी महाराज ने रूद्राक्ष के महत्व पर भी प्रकाश डाला और बताया कि पुराणों में रुद्राक्ष को देवों के देव भगवान शिव का स्वरूप ही माना गया है। पौराणिक कथा के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रु से हुई है। रुद्राक्ष पहनने से इंसान की मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं।
जो इसे धारण कर भोलेनाथ की पूजा करता है उसे जीवन के अनंत सुखों की प्राप्ति होती है। गुरूदेव ने बेलपत्र के गुणों को बताया और कहा कि शिव भगवान को दूध और बेलपत्र दोनों बहुत पसंद है। उन्होंने ये भी कहा कि बेलपत्र को ऊपर की जेब में रखने से दिल में रक्तप्रवाह ठीक बना रहता है।
मनुष्य जन्म होने के लाभ बताते हुए सद्गुरूनाथ जी महाराज ने शबरी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि शबरी श्री राम के रास्ते में पड़ने वाले कंकड़ को बीनकर हटा देती थी। बाद में उन्हें प्रभु श्रीराम ने दर्शन भी दिया और उनके जूठे बेर भी खाए।
उन्होंने कहा कि भगवान शंकर की करूणा और कृपा संपूर्ण विष्व में व्याप्त है उनकी कृपा दृष्टि से ही यह जगत संचालित है। जब तक शिव की कृपा नहीं होती जीवन में हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकते। शिव पुराण में चौबीस हजार श्लोक हैं उनमें से एक श्लोक ही नहीं बल्कि एक शब्द मात्र को भी अपने जीवन मे धारण करने से इस मानव देह का के लिए सिद्ध हो जाता है। उन्होंने कहा हमें मनुष्य का शरीर तो मिल गया लेकिन हमने इसके महत्व को नहीं समझा तो सब बेकार है। मानव देह का महत्व भगवान की भक्ति में है। शिवजी अत्यंत दयालु महादेव हैं।
शिवमहापुराण में देवराज ब्राम्हण का दृष्टांत देते हुए उन्होंने विश्वास दिलाया कि ह्दय से किया गया मंत्र जाप हमारे जीवन को सफल बना देता है हर श्वास में ओम नम: शिवाय मंत्र का जप कीजिए और जीवन में जो भी समस्याएं हों। उनके समाधान के लिए व्यर्थ मत भटकिए बल्कि श्रद्धा पूर्वक शिवजी को रोज जलार्पण कीजिए अर्थात एक लोटा जल, सारी समस्याओं का हल।
इस पांच दिवसीय कथा महोत्सव में काले हनुमान जी, चांदी की टकसाल के महंत श्री राजकुमार शर्मा जी एवं सर्व समाज के गणमान्य व्यक्तियों के साथ विभिन्न प्रांतो और शहरों से आए हुए भक्तों ने शिव महिमा का रसपान किया आयोजक श्री तुलसी त्रिलोकानी परिवार ने सभी कार्यकर्ताओं और सहयोग कर्ताओं का आभार व्यक्त किया