जयपुर। ज्येष्ठ माह की सोमवती अमावस्या सोमवार को वट सावित्री पर्व पर सुहागिन महिलाओं ने अखंड सुख-सौभाग्य की कामना के साथ वट वृक्ष का पूजन किया। सुहाग की प्रतीक लाल साड़ी और चूनड़ी ओढक़र सजी-धजी महिलाओं ने लोकगीतों के साथ वट वृक्ष का पूजन किया। वट वृक्ष में कच्चा सूत बांधकर परिक्रमा की। पूजन के बाद सभी ने सदा-सुहागिन रहने की मनौती मांगी।
गोविंद देवजी, खोले के हनुमान मंदिर, जंगलेश्वर महादेव, पापड़ के हनुमानजी, झारखंड महादेव सहित अन्य बड़े मंदिरों में सुबह से ही महिलाओं की भीड़ रही। महिलाएं पूजा-अर्चना करने समूह में मंदिर पहुंची। भगवान की नियमित पूजा-अर्चना कर उन्होंने वट वृक्ष का पूजन किया।
जिन मंदिरों में वट वृक्ष नहीं था वहां गमले में लगे वट वृक्ष का पूजन किया गया। पौराणिक कथा के अनुसार सती सावित्री ने इसी व्रत को करके अपने मृत पति को यमराज से वापस पाया था। तब से यह परंपरा चली आ रही है।