जयपुर। हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि को अत्यंत पवित्र और फलदायक माना जाता है। प्रत्येक महीने की अमावस्या का धार्मिक दृष्टिकोण से अलग महत्व होता है। इस दिन स्नान, दान और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। वर्तमान में वैशाख मास चल रहा है, और इस महीने की अमावस्या को वैशाख अमावस्या कहा जाता है। इस दिन का धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है।
वैशाख मास की अमावस्या को विशेष धार्मिक महत्व प्रदान किया जाता है, लेकिन वर्ष 2025 की वैशाख अमावस्या विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस बार यह पावन तिथि न केवल पितरों की तृप्ति के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, बल्कि इसी दिन दक्षिण भारत में शनि जयंती भी मनाई जाएगी।
इसका अर्थ है कि एक ही दिन पूर्वजों का आशीर्वाद और शनिदेव की कृपा प्राप्त करने का दुर्लभ अवसर बन रहा है। वैशाख अमावस्या का संबंध नए चंद्रमा से होता है, जब आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता। यह खगोलीय स्थिति तब उत्पन्न होती है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है। इस दिन को पितरों को समर्पित माना जाता है और लोग जल, तर्पण और दान के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजली अर्पित करते हैं।
ज्योतिष विद्वान पंडित अनिल कुमार विद्रोही के अनुसार अमावस्या तिथि आरंभ 27 अप्रेल, सुबह 4:49 बजे और अमावस्या तिथि का 28 अप्रैल को रात 1:00 बजे होगा।
स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त
इस दिन सुबह 4:17 बजे से 5:00 बजे तक विशेष मुहूर्त।
चर मुहूर्त में सुबह 7:23 से 9:01 बजे तक,
लाभ मुहूर्त में 9:01 से 10:40 बजे तक,
अमृत मुहूर्त में 10:40 से दोपहर 12:19 बजे तक विशेष रूप से श्रेष्ठ रहेगा।
इस दिन के खास उपाय और पूजन विधि
पवित्र नदी में स्नान करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं वही अगर संभव हो तो गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करें। यह पितृदोष को शांत करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
स्नान के बाद गरीबों, ब्राह्मणों और ज़रूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जूते, छाता, जलपात्र, सत्तू आदि का दान करना चाहिए इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पुण्य भी प्राप्त होता है।
पंडित अनिल कुमार विद्रोही के अनुसार हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
इस दिन श्री हनुमानजी की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है ।उनके पाठ से डर, बाधाएं और नेगेटिव एनर्जी दूर होती है, मंदिर जाकर सभी को पूजा करनी चाहिए।
भगवान विष्णु, शनिदेव और पितरों की पूजा करें। मंदिर में फल, मिठाई, फूल, गूलर का फल, काले तिल व वस्त्र अर्पित करें।
सत्तू का सेवन या वितरण करें
पंडित विद्रोही के अनुसार इस दिन सत्तू बनाना और खाना शरीर के लिए ठंडकदायक माना जाता है। साथ ही इसका वितरण करने से पुण्य फल मिलता है
क्यों खास है ये अमावस्या?
वैशाख अमावस्या पर धार्मिक अनुष्ठान करने से पितृदोष शांत होता है, वहीं शनि जयंती का योग इसे और अधिक प्रभावशाली बना देता है। शनि के शुभ प्रभाव से कर्मों का फल बेहतर होता है, नौकरी, व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में शांति आती है. अगर आप अपने जीवन में शांति, सफलता और पितरों का आशीर्वाद चाहते हैं, तो यह दिन जातको के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।