जयपुर। छोटी काशी जयपुर में विभिन्न जगहों पर भगवान श्रीराम के प्रसिद्ध मंदिर बने हुए है जिनके दर्शन के लिए श्रद्धालु बाहरी इलाकों से आते है। लेकिन राजधानी जयपुर में भगवान श्रीराम का एक ऐसा भी मंदिर है जहां पर सूर्य की पहली किरण भगवान श्रीराम के चरर्णां में पड़ती है।
छोटी चौपड़, सीताराम जी मंदिर
छोटी चौपड़ पर स्थित सीताराम जी मंदिर 241 साल पुराना है। इस मंदिर को इसकी स्थापना शहर के नगर सेठ रहे लूणकरण भिखारीदास नाटाणी ने 1784 इस्वीं में की थी। ये मंदिर करीब साढ़े पांच साल में बनकर तैयार हुआ था। इस मंदिर परिसर में सीताराम के दो विग्रह है। काले पत्थर से चल और अष्टधातु से निर्मित अचल विग्रह है।इस विग्रह में प्रभु श्री राम चांदी के धनुष धारण किए हुए है। जो लूणकरण जयपुर के तत्कालीन राज दरबार में नवरत्नों में से एक है।
42 सौ गज जमीन पर 3 सौ स्वर्ण मोहरों की लागत से किया गया था मंदिर का निर्माण
सीताराम मंदिर का निर्माण 42 सौ गज जमीन पर भारतीय स्थापत्य कला की विशिष्ट शैली से किया गया था। इस मंदिर के निर्माण में करीब 3 सौ स्वर्ण मोहरों की लागत आई थी। मंदिर के गर्भगृह में सोने की कारीगरी की गई। प्रभु राम, सीता, कृष्ण और राधा यहां विराजमान हैं। निर्माण के समय से ही इसे राजधानी की अयोध्या नगरी कहा जाता है।
1889 ईसवी में मंदिर की सेवा पूजा का जिम्मा नाटाणी परिवार को सौंपा
इस मंदिर की सेवा पूजा का जिम्मा विक्रम संवत 1889 तक नाटाणी परिवार के वंशजों के पास ही रहा। इसके बाद यह जिम्मेदारी महंत गोपाल दास महाराज को सौप दी गई। यह मंदिर पूर्वाभिमुख ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर का शुभारंभ महाराजा जयसिंह ने किया था। यह मंदिर सूर्यवंशी है। इस मंदिर की खास विशेषता ये है कि प्रतिदिन सुबह सूरज की किरणें प्रभु श्रीराम के चरणों पर पड़ती है।
ये है विशेष मान्यता
मंदिर महंत नंदकिशोर महाराज ने बताया कि इस मंदिर की ऐसी मान्यता है जिस किसी का पीलिया जैसा रोग होता है वो ज्वार अपने सिर पर वार कर मंदिर परिसर में कबूतरों को डालता है। उसका पीलिया रोग जल्दी ही सही हो जाता है । इसके अलावा मंदिर परिसर में सभी वर्गो के लोग विवाह की ध्वजा चढ़ाते है।
मंदिर महंत नंदकिशोर ने बताया शयन आरती के बाद जब मंदिर के पट मंगल हो जाते है तो हनुमान जी मंदिर के परिक्रमा मार्ग से पूरे मंदिर की परिक्रमा करते है। बताया जाता है कि गर्मी के समय में संत -महात्मा परिक्रमा मार्ग पर ही बिस्तर बिछाकर सो जाते थे। तो उन्हे ऐसा लगता था कि कोई उन्हें नींद से जगा कर साइड में कर रहा है।
महाराजा जयसिंह प्रतिदिन आते थे प्रभु सीताराम जी के दर्शनों के लिए
मंदिर महंत के बेटे दीपक शर्मा ने बताया कि जयपुर दरबार महाराज जयसिंह प्रतिदिन प्रभु सीताराम जी के दर्शनों के लिए नियमित मंदिर आते थे। मंदिर को जयपुर रियासत के पोथीखाना विभाग से कुछ भेंट मिलती थी। लेकिन रियासतों के एकीकरण के कारण मंदिर में दी जाने वाली रकम में रुकावट आ गई। जिसके बाद जयसिंह ने मंदिर में एक रुपया प्रतिदिन भोग खर्च के साथ सर्व समाज को ध्वजा चढ़ाने की अनुमति प्रदान की थी।
ब्रह्म राम मंदिर
ब्रह्मपुरी माउंट रोड पर नाहरगढ़ की तलहटी पर स्थित ब्रह्मा मंदिर । जिसमें भगवान राम ब्रह्म स्वरूप में विराजमान है। इस मंदिर में प्रतिदिन काफी बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने के लिए आते है। इस मंदिर परिसर में प्रत्येक गुरुवार को हवन -यज्ञ होता है। जो सूर्योदय से लेकर सूर्योस्त तक जारी रहता है। इस मंदिर में भगवान राम के साथ सिर्फ हनुमान जी महाराज ही विराजमान है।
चांदपोल का रामचंद्र मंदिर
जयपुर के परकोटे में स्थित चांदपोल बाजार में भी भगवान राम का मंदिर है। भगवान श्रीराम के दर्शन करने के लिए लोग दूर -दराज से आते है। बताया जाता है कि यह मंदिर करीब 130 साल पुराना है और इसकी स्थापना 1894 में हुई थी। ये मंदिर जयपुर के सबसे पुराने मंदिरों में एक है। मंगलवार और शनिवार को इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगता है।
13 मई 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में एक बम इस मंदिर के सामने भी फटा था। लेकिन इस मंदिर के बाहर भीख मांगने वाली एक महिला के सिर में बम का छर्रो लगा था। लेकिन भगवान के चमत्कार के चलते वो आज भी जीवित है। वहीं दूसरा छर्रो मंदिर परिसर के पास बने डाकघर में अलमारी में लगा। लेकिन डाकघर में मौजूद किसी भी कर्मचारी को कोई हानि नहीं पहुंची।
रेलवे स्टेशन का श्रीराम मंदिर
राजधानी जयपुर में रेलवे स्टेशन और पानी पेंच के बीच बना श्री राम मंदिर भी सौंदर्यीकरण को लेकर काफी चर्चा में रहता है। मंदिर परिसर में के बाहर पर ऊंचाई पर विराजमान रोबोट यहां शाम को आरती के समय घंटा बजाकर प्रभु श्री राम की आरती करता है। इस मंदिर का सौंदर्यीकरण ऐसा है कि यहां आने वाले श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो जाते है। इस मंदिर में फव्वारे के बीच पानी में जगमगाती लाइट भक्तजनों का दिल जीत लेती है।