जयपुर। विद्याधर नगर स्टेडियम में गुरुवार को 1 मई से प्रारंभ होने वाली सात दिवसीय शिव महापुराण कथा से पूर्व बुधवार को भवानी निकेतन से भव्य कलश यात्रा निकाली गई। शाम चार बजे कलशयात्रा शाही लवाजमे के साथ भवानी निकेतन से प्रारंभ हुई और विभिन्न मार्गो से होती हुई कथा स्थल पहुंची। आयोजन समिति की ओर से इस आयोजन की तैयारियां महिनों पहले से ही जा रही थी। जिसकी झलक पूरे शहर में देखने में देखने को मिली।इस भव्य कलशयात्रा के लिए जयपुर शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया और जगह -जगह स्वागत द्वार बनाए गए।
51 बग्गियों में विभिन्न तरह की निकली झांकी
आयोजन समिति के मुख्य संयोजक राजन शर्मा और सचिव एडवोकेट अनिल संत ने बताया कि बुधवार शाम 4 बजे अंबाबाड़ी स्थित भवानी निकेतन से शाही लवाजमें के साथ कलश यात्रा रवाना हुई। यह यात्रा आदर्श विद्या मंदिर स्कूल से रवाना होकर भवानी निकेतन , ढेहर के बालाजी, तीन दुकान, अल्का सिनेमा चौराहे से होते हुए शाम 6 बजे कथा स्थल विद्याधर नगर स्टेडियम पहुंची। यात्रा में 21 हजार महिलाओं ने त्रिवेणी संगम के जल से भरे कलश सिर पर रखकर भाग लिया। सभी महिलाएं गुलाबी गाजरिया साड़ी में सजी थीं।
कलश यात्रा में हर हर महादेव, ओम नमः शिवाय जैसे भजनों के साथ सुंदर बैंड की स्वर लहरियों के साथ महिलाएं नृत्य करती हुई चल रही थीं। यात्रा के दौरान जयपुर के 21 स्थानों पर पुष्पवर्षा और अल्पाहार से स्वागत किया गया। विधायक बालमुकुंदाचार्य और संतों की 51 बग्गियां भी यात्रा में शामिल थीं। कलश यात्रा की भव्यता ऐसी थी कि एक छोर भवानी निकेतन तो दूसरा छोर विद्याधरनगर स्टेडियम में था। 51 प्रकार की झांकियों में भोले बाबा का ताडव करती झांकी आकर्षण का केंद्र रहीं। वहीं शोभायात्रा में गजराज के अलौकिक श्रृंगार ने सभी का मन मोह लिया।
कथा स्थल बना आकर्षण का केंद्र, अद्भुत स्टेज पर शिव परिवार की मूर्तियां
कथा वाचन के लिए 150*40 फीट का भव्य मंच तैयार किया गया है। स्टेज के बैकग्राउंड में शिव परिवार की विशाल प्रतिमा लगाई गई है। इसके चारों ओर पहाड़ों जैसी आकृति बनाई गई है, जिसके बीच पूरा शिव परिवार विराजित है। यह दृश्य श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बन गया है।
हर दिन सुबह से शाम तक यज्ञ और हवन, शाम को कथा
विद्याधर नगर स्टेडियम में 108 स्क्वायर फीट में सात मंजिला यज्ञशाला बनाई गई है, जहां 21 कुंडीय महामृत्युंजय रुद्र महायज्ञ हो रहा है। प्रतिदिन सुबह 9 बजे से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ आरंभ होगा, जबकि कथा दोपहर 1 बजे से शुरू होगी। आयोजकों के अनुसार, जयपुर में हर दिन सुबह से शाम तक महामृत्युंजय यज्ञ, हवन और शिवकथा के चलते वातावरण पूरी तरह शिवमय बना रहेगा।