June 13, 2025, 7:21 pm
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राजस्थान का पहला साइबर सपोर्ट सेंटर हुआ लॉन्च

जयपुर । साइबर सुरक्षा को सुदृढ़ करने और ऑनलाइन खतरों की बढ़ती चुनौतियों से निपटने की दिशा में एक सशक्त कदम उठाते हुए महानिदेशक पुलिस यूआर साहू एवं महानिदेशक एससीआरबी व साइबर क्राइम हेमन्त प्रियदर्शी द्वारा जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में राजस्थान का पहला “साइबर सपोर्ट सेंटर” औपचारिक रूप से शनिवार को प्रारम्भ किया गया। यह सेन्टर मुम्बई स्थित एनजीओ रेस्पान्सिबल नेटिजन्स द्वारा संचालित किया जायेगा व कोगटा फाउण्डेशन इसमें आर्थिक सहयोग करेगा।

पुलिस महानिदेशक साहू एवं प्रियदर्शी ने केंद्र का उद्घाटन करते हुए कहा कि साइबर सुरक्षा को सुदृढ़ करने और ऑनलाइन खतरों की बढ़ती चुनौतियों से निपटने की दिशा में यह सेन्टर एक सशक्त माध्यम बनेगा। यह अग्रणी केन्द्र ऑनलाइन उत्पीड़न से मुकाबला करने, साइबर अपराधों के पीड़ितों को तत्काल सहायता प्रदान करने और #साइबर सेफ जयपुर अभियान के अंतर्गत साइबर वेलनेस को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया है। सेंटर का उद्देश्य डिजीटल उत्पीड़न से उत्पन्न दीर्घकालिन मानसिक और भावनात्मक प्रभावों से निपटना होगा।

आरंभ में अतिथियों ने केंद्र का औपचारिक उद्घाटन करते हुए इसमें दी जाने वाली सेवाओं के बारे में जानकारी ली। इस अवसर पर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ, एडिशनल पुलिस कमिश्नर कुंवर राष्ट्रदीप, एडिशनल पुलिस कमिश्नर डॉ. रामेश्वर सिंह, डीसीपी ईस्ट तेजस्वनी गौतम सहित कमिश्नरेट के तमाम अधिकारी मौजूद रहे।

सभी आयु वर्ग के नेटिजन्स के लिए बनेगा मददगार :

जयपुर कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसेफ ने बताया कि यह सेंटर सभी आयु वर्ग के नेटिजन्स के लिए खुला रहकर मददगार बनेगा और यह कानून प्रवर्तन एवं डिजीटल सिस्टम्स में विश्वास को मजबूत करते हुए पीड़ितों को न्याय और रिहेबिलिटेशन की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करेगा। साइबर सपोर्ट सेंटर पर सम्पर्क करने के लिए 87648-66039 औऱ 87648-66040 नम्बर पर सम्पर्क किया जा सकता है।

जोसेफ ने बताया कि आंकड़े बताते हैं कि 3 में से 1 बच्चा ऑनलाइन बुलिंग का शिकार होता है। 70% बच्चों ने और 30% महिलाओं ने साइबर अपराधों का सामना किया है। वित्तीय साइबर अपराधों में 24.5% की वृद्धि हुई, जिससे 2024 में ₹2054 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। राजस्थान में हर साल लगभग 3,000 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए जाते हैं।

इनमें से 47.25% वित्तीय अपराध, 30.16% यूपीआई घोटाले, 12% सोशल मीडिया और 11% यौन उत्पीड़न से संबंधित हैं। तीन वर्षों में, साइबर धोखाधड़ी के कारण पीड़ितों ने ₹1581 करोड़ गंवाए, जिसमें से पुलिस ने ₹676 करोड़ होल्ड कराया। हर दिन 10-15 कॉल साइबर स्टॉकिंग, साइबर बुलिंग और उत्पीड़न से जुड़ी समस्याओं को रिपोर्ट करती हैं।

इस उद्देश्य से बनाया सेंटर

जयपुर में स्थापित साइबर सपोर्ट सेंटर का उद्देश्य मुफ्त मनोवैज्ञानिक, कानूनी और तकनीकी सहायता प्रदान करना, शिक्षा, प्रशिक्षण और जागरूकता अभियानों के माध्यम से साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देना, साइबर अपराधों के मानसिक प्रभाव से पीड़ित व्यक्तियों को परामर्श देना और स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी संस्थानों के साथ मिलकर साइबर सुरक्षा को मजबूत करना है।

संरचना और टीम

यह केंद्र रिस्पॉन्सिबल नेटिजन्सव के तहत संचालित होगा। इस टीम में परियोजना समन्वयक, वरिष्ठ परामर्शदाता और मनोवैज्ञानिक, कानूनी और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ, प्रशिक्षित प्रशिक्षक और कार्यशाला संचालक एवं केस डॉक्यूमेंटेशन के लिए फ्रंट डेस्क अधिकारी शामिल होंगे

प्रदत्त सेवाएं

मनोवैज्ञानिक सहायता – ऑनलाइन उत्पीड़न, ट्रोलिंग और इंटरनेट की लत के मामलों के लिए परामर्श।
तकनीकी और कानूनी सहायता – अकाउंट रिकवरी, धोखाधड़ी रोकथाम, पुलिस रेफरल।
जागरूकता कार्यक्रम – छात्रों, कानून प्रवर्तन और वरिष्ठ नागरिकों के लिए ऑनलाइन सुरक्षा सत्र।
जन जागरूकता अभियान – साइबर अपराधों की रोकथाम हेतु पहल।
साइबर वेलनेस सहायता – तत्काल हस्तक्षेप और दीर्घकालीन पीड़ित सहायता।
साइबर सहायता केंद्र की सेवाएं

मनोवैज्ञानिक सहायता और परामर्श

ऑनलाइन उत्पीड़न, ट्रोलिंग और साइबर बुलिंग के पीड़ितों के लिए मनोवैज्ञानिक मुल्यांकन।
अत्यधिक ऑनलाइन जुड़ाव से जूझ रहे लोगों के लिए इंटरनेट और गेमिंग की लत का उपचार।
पीड़ितों और उनके परिवारों को डिजिटल संकट के मानसिक प्रभावों से निपटने में सहायता।
तकनीकी और कानूनी सहायता
मुफ्त कानूनी सहायता – पहचान की चोरी, धोखाधड़ी और साइबर उत्पीड़न के मामलों को हल करने में पीड़ितों की मदद।
तकनीकी सहायता – अकाउंट रिकवरी, डिवाइस सुरक्षा और रिपोर्टिंग तंत्र।
आगे की जांच और कानूनी कार्यवाही के लिए स्थानीय साइबर पुलिस स्टेशनों को रेफरल।
जागरूकता और शिक्षा कार्यक्रम
छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए ऑनलाइन सुरक्षा सत्र।
कानून प्रवर्तन के लिए साइबर अपराध जांच और समाधान क्षमता निर्माण।
वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय धोखाधड़ी से बचाव और डिजिटल पहचान सुरक्षा पर शिक्षित करना।

जन जागरूकता अभियान

साइबर अपराधों के मनोवैज्ञानिक, कानूनी और सामाजिक प्रभावों पर जागरूकता अभियान।
बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षा का महत्व समझाने के लिए स्कूल-स्तरीय कार्यक्रम।
पीड़ितों के लिए साइबर वेलनेस सहायता
साइबर धोखाधड़ी, उत्पीड़न या डिजिटल हिंसा के पीड़ितों को तत्काल सहायता।
आगे की जांच के लिए उचित कानूनी और कानून प्रवर्तन निकायों को रेफर करना।
पीड़ितों के लिए दीर्घकालिक समर्थन और समाधान सुनिश्चित करना।
जोसेफ ने बताया कि जयपुर में साइबर सहायता केंद्र डिजिटल युग में नागरिकों की भलाई और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वन-स्टॉप संकट केंद्र के रूप में कार्य करेगा। साइबर अपराधों से प्रभावित लोगों को मुफ्त सहायता प्रदान करके और ऑनलाइन सुरक्षा के महत्व पर जनता को शिक्षित करके यह पहल एक सुरक्षित और जागरूक साइबर समुदाय का निर्माण करेगी, जिससे जयपुर भारत में साइबर वेलनेस और डिजिटल सुरक्षा के लिए एक मॉडल शहर बनेगा।

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