जयपुर। रिश्वत लेते पकड़े गए एसीबी के एएसपी सुरेंद्र सिंह कवाब और शराब का शौकिन था। वह कहता था कि पैसे की कोई सीमा नहीं होती, जितना कमाओ उतना थोडा लगता है।एसीबी के पास मौजूद रिकॉर्डिंग से पता चला कि शर्मा अपनी 90 प्रतिशत अवैध डील दलालों के फोन से ही करता था। जनवरी में हुई इन डील की रिकॉर्डिंग एसीबी के पास मौजूद है, लेकिन पांच महीने तक कार्रवाई नहीं होने से एसीबी पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं। एसीबी तीनों से 23 मई तक पूछताछ करेगी। इसके बाद तीनों को फिर से कोर्ट में पेश किया जाएगा।
एसीबी सूत्रों के मुताबिक 8 से 16 जनवरी के बीच की रिकॉर्डिंग में शर्मा को दलालों रामराज मीणा और प्रदीप उर्फ बंटी पारीक के मोबाइल से सवाई माधोपुर के विभिन्न विभागों के अधिकारियों को धमकाते हुए सुना जा सकता है। एक मामले में तो उसने शौक पूरा करने के लिए एक शराब ठेकेदार से महंगी शराब की चार बोतलें तक मांग डाली। एसीबी एएसपी की सम्पत्ति का रिकॉर्ड प्राप्त करने के बाद अब उसके खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति का मामला दर्ज करवाएगी। एएसपी की सम्पत्ति को लेकर एसीबी को मिली जानकारी की तस्दीक की जा रही है।
एडीजी स्मिता श्रीवास्तव ने बताया कि एएसपी सुरेंद्र सिंह के मामले की जांच में मिले सबूतों के आधार पर करीब 50 से अधिक सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों पर शिंकजा कसने की योजना तैयार की जा रही है। एसीबी के अधिकारियों को जांच के दौरान सवाई माधोपुर चौकी पर तैनात इंस्पेक्टर विवेक सोनी की भूमिका संदिग्ध लगी।
विवेक सोनी सुरेन्द्र शर्मा के पैसे लेने सहित सभी कारनामों को जानता था, लेकिन उस के बाद भी सोनी ने मुख्यालय को इस की शिकायत नहीं की। इस पर डीजी एसीबी ने विवेक सोनी को एसीबी से हटा कर पुलिस में दोबारा भेज दिया है। आरोपी सम्पत्ति की जानकारी तैयार की जा रही है।
एफआईआर के अनुसार एसीबी के पास 6 से 16 जनवरी 2025 तक की रिकॉर्डिंग मौजूद थी, जिसमें एडिशनल एसपी सुरेन्द्र शर्मा की भ्रष्ट गतिविधियों के सबूत थे। इसके बाद एफआईआर में सीधे 1 मई 2025 की एक रिकॉर्डिंग का उल्लेख किया गया है। जनवरी से मई के बीच के चार महीनों में क्या हुआ, इसका कोई विवरण एफआईआर में नहीं दिया गया है।
एसीबी ने सोमवार 19 मई को शर्मा और उनके दो दलालों रामराज मीणा व प्रदीप उर्फ बंटी पारीक को गिरफ्तार किया। एसीबी जनवरी में ही एडिशनल एसपी और उसके दलालों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर सकती थी। पांच महीने बाद शर्मा को जयपुर अटैच करने और फिर गिरफ्तार करने के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं है।
एफआईआर के अनुसार एसीबी मुख्यालय में तैनात एएसआई सूरज बाली को सूचना मिली कि सवाई माधोपुर निवासी रामराज मीणा अवैध बजरी खनन को संरक्षण देने के लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर अधिकारियों को घूस पहुंचाई जा रही है। इसके बाद रामराज के मोबाइल को सर्विलांस पर लिया गया। इसमें खुलासा हुआ कि रामराज मीणा एसीबी सवाई माधोपुर चौकी के एएसपी सुरेन्द्र कुमार शर्मा के लिए अन्य विभाग के अधिकारियों को कार्रवाई का भय दिखाकर घूस ले रहा है।