लोक आस्था का महापर्व डाला छठ पूजा आज से प्रारंभ

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जयपुर। लोक आस्था का महापर्व डाला छठ शनिवार से शुरू होगा। शुक्रवार को इसकी तैयारियों को अंतिम रूप दिया। सूर्यदेव और छठी मैया की आराधना को समर्पित पर्व को लेकर जयपुर में रह रहे पूर्वांचल राज्यों के लोगों में भारी उत्साह है। जीवन में शुद्धता, आत्मसंयम और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता के प्रतीक छठ पूजा को डाला छठ, सूर्य षष्ठी, छठी या प्रतिहार के नाम से भी जाना जाता है।

ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा के अनुसार हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से आरंभ होकर सप्तमी तिथि तक चलता है। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। पुराणों के अनुसार सूर्यदेव महर्षि कश्यप और अदिति के पुत्र हैं, जबकि संज्ञा उनकी पत्नी हैं। त्रेतायुग में माता सीता, द्वापर युग में द्रौपदी और कर्ण द्वारा भी छठ पूजा किए जाने का उल्लेख मिलता है, जो इस पर्व की प्राचीनता और सनातन परंपरा को दर्शाता है।

छठ महापर्व न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह प्रकृति, अनुशासन और आत्मसंयम का प्रतीक भी है। सूर्य उपासना के माध्यम से यह पर्व जीवन में ऊर्जा, संतुलन और सकारात्मकता बनाए रखने की प्रेरणा देता है। चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में व्रती महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं।

पहले दिन 25 अक्टूबर को नहाय-खाय, दूसरे दिन 26 अक्टूबर को खरना होगा। तीसरे दिन 27 अक्टूबर को अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। चौथे और अंतिम दिन 28 अक्टूबर को कमर तक पानी में खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पर्व का समापन होगा।

बिहार समाज संगठन के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी सुरेश पंडित ने बताया कि पहले दिन व्रती महिलाएं स्नान कर लौकी-भात का शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। इसी दिन व्रत की पवित्र शुरुआत होती है। दूसरे दिन खरना के साथ 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत होगी। खरना के दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। शाम को गुड़ की खीर (रसिया) और घी से बनी रोटी बनाकर सूर्यदेव की पूजा करती हैं।

पूजा के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ होता है। तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। व्रती महिलाएं घाटों पर खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

इस अवसर पर घाटों पर दीपों की रोशनी, भजन-कीर्तन और लोक गीतों से वातावरण भक्तिमय हो उठता है। चौथे दिन प्रात:काल व्रती महिलाएं उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं। छठी मैया से आरोग्यता, संतान-सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मांग कर व्रत का पारण किया जाता है। इसके साथ ही चार दिवसीय व्रत की पूर्णाहुति होती है। डाला छठ महापर्व मुख्य आयोजन गलता जी तीर्थ और एनबीसी के पीछे दुर्गा विस्तार कॉलोनी के पार्क में होगा

बिहार समाज संगठन के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी सुरेश पंडित ने बताया कि मूलतः जयपुर में बिहार के प्रवासियों की बड़ी आबादी निवास करती है । हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी समाजजन जयपुर महानगर में अपनों के बीच जाकर पर्व की खुशियां मनाएंगे। राजस्थान के राजधानी जयपुर में गलता जी तीर्थ, एनबीसी के पीछे दुर्गा विस्तार कॉलोनी , शास्त्री नगर किशन बाग , दिल्ली रोड , प्रताप नगर, मालवीय नगर ,मुरलीपुरा, गणेश वाटिका , आमेर मावटा,निवारू रोड, कटेवा नगर, उगमेश्वर महादेव मंदिर,रॉयल सिटी माचवा, विश्वकर्मा ,झोटवाडा, जवाहर नगर ,आदर्श नगर, 22 गोदाम, जयसिंहपुरा खोड, सिरसी रोड व अन्य क्षेत्र में डाला छठ महापर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा ।

बिहार समाज संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन शर्मा ने बताया कि जगह-जगह साफ सफाई, जलाशय बनाने की तैयारी मूल रूप से जयपुर में रह रहे प्रवासी बिहारवासी 5 लाख से अधिक व प्रदेश भर में लगभग 30 लाख लोग प्रवासरत है जयपुर में लगभग 60 फ़ीसदी लोग अपने शहर के बीच इस महापर्व को मनाएंगे।

संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री चंदन कुमार ने बताया कि छठ महापर्व महिलाओं को अस्तित्व को भी सम्मानित करता है 25 अक्टूबर दिन शनिवार से नहाय खाय शुरू होगा। वह 26 अक्टुवर खरना की वॖर्त होगा। 28 अक्टुवर को उगते हुए सूर्य को दूसरा अर्घ्य अर्पित कर इस महापर्व को संपन्न करेंगे ।

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