July 27, 2024, 12:27 am
spot_imgspot_img

सितार वादन और शास्त्रीय गायन से सजी संध्या

जयपुर। ‘तबले की जुगलबंदी के साथ लालित्यपूर्ण सितार वादन और सधे स्वरों में शास्त्रीय गायन की सुरीली प्रस्तुति’। जवाहर कला केन्द्र में सोमवार शाम कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला। मौका था केन्द्र की ओर से आयोजित शास्त्रीय संगीत संध्या का। आचार्य राजेन्द्र जोशी ने सितार वादन से समां बांधा। इधर प्रो. (डॉ.) सुमन यादव के निर्देशन में केन्द्र की ओर से आयोजित 8 दिवसीय शास्त्रीय गायन कार्यशाला के 40 से अधिक प्रतिभागियों ने गुरु के सबक को मंच पर साकार किया।

आचार्य राजेन्द्र जोशी ने सितार पर राग यमन के साथ प्रस्तुति की शुरुआत की। जोड़ आलाप के बाद 16 मात्रा तीन ताल में मसीतखानी गत पेश की। इसके बाद उन्होंने द्रुत लय में रजाखानी गत और तान बजाई और राग यमन का विस्तार किया। सिंध भैरवी राग और कहरवा ताल के संयोजन के साथ विभिन्न धुनें बजाकर उन्होंने प्रस्तुति का समापन किया। तबले पर पंडित नवरत्न जोशी और केशव शर्मा व तानपुरे पर कृष्ण कुमार ने संगत की

युवाओं को शास्त्रीय संगीत से जोड़ने के उद्देश्य से केन्द्र की ओर से 11 से 18 मार्च तक शास्त्रीय गायन कार्यशाला का आयोजन किया गया था। सोमवार को प्रस्तुति के साथ ही इसका समापन हुआ। राग बैरागी भैरव में एक मध्यलय बंदिश, ‘सोच समझ मन बावरे’ से शुरुआत कर कलाकारों ने श्रोताओं को आध्यात्म के रंग में रंग दिया। राग भूपाली में मध्यलय बंदिश, ‘एरी सखी जिया न लागे’ में वियोग श्रृंगार का साक्षात्कार करवाया गया। राग बिहाग की बंदिश, ‘धूम मचाई’ के माध्यम से बृज होली सा समां बांधा।

राग मियां मल्हार में ‘झर लागी बूँदनियाँ’ के माध्यम से वर्षा ऋतु के भाव स्वरों में झलके। राग खमाज में ख्याल की पारंपरिक बंदिश, ‘न मानूंगी’ से कार्यक्रम का समापन हुआ। हारमोनियम पर डॉ. गिरिराज बालोदिया और तबले पर फतेह वारसी ने संगत की। ये सभी बंदिशें कार्यशाला की प्रशिक्षिका ग्वालियर घराने की मूर्धन्य कलाकार प्रो. सुमन यादव की स्वनिर्मित थीं।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

25,000FansLike
15,000FollowersFollow
100,000SubscribersSubscribe

Amazon shopping

- Advertisement -

Latest Articles