जयपुर । ‘घूमर राजस्थान का गौरव भी है और लोक नृत्यों की आत्मा भी, प्रदेश की संस्कृति का सबसे खूबसूरत अंग हमारे लोक नृत्य ही है जो हमारे आम जीवन से भी जुड़े हुए हैं।’ यह कहना है वरिष्ठ कलाकार डॉ. रूप सिंह शेखावत का। वे जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित लोक नृत्य कार्यशाला में युवाओं को लोक नृत्य का प्रशिक्षण दे रहे हैं। गुलशन सोनी कार्यशाला में सह प्रशिक्षक की भूमिका निभा रही हैं।
राष्ट्रपति अवार्डी डॉ. रूप सिंह शेखावत ने बताया कि वे कार्यशाला में गणगौर और घूमर नृत्य का प्रशिक्षण दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की संस्कृति से रूबरू होने के लिए लोक नृत्य से जुड़ना बेहद जरूरी है। विशेष वेशभूषा के साथ राजस्थान के पारंपरिक आभूषणों से सुसज्जित होने के बाद श्रृंगार रस प्रधान घूमर नृत्य किया जाता है।
कार्यशाला में 16 वर्ष से अधिक आयु की 25 से अधिक युवतियां व महिलाएं हिस्सा ले रही हैं। उन्होंने बताया कि घूमर मुख्यत: महिलाओं की ओर किया जाने वाला नृत्य है। अगर कोई पुरुष कलाकार इसे कर रहा है तो यह ईश्वरीय वरदान से कम नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि युवा लोक नृत्य में भी बेहतर करियर बना सकते है उन्हें जरूरत है श्रेष्ठ गुरु और अच्छे अवसरों की। कार्यशाला में मुन्नालाल भाट्ट गायन, ढोलक पर विजेन्द्र सिंह राठौड़, तबले पर विजय बानेत संगत कर रहे है।