जयपुर। छोटी काशी में स्थित आस्था के पावन केंद्र श्री अमरापुर दरबाद में 3 नवंबर से प्रारंभ हुए कार्तिक महोत्सव का समापन 15 नवंबर शुक्रवार कार्तिक पूर्णिमा को श्रीमद्भागवत गीता,श्री प्रेम प्रकाश ग्रंथ साहिब,कार्तिक महात्म की कथा,भगवान सत्यनारायण की कथा के भोग पारायण के साथ हुआ। प्रात काल की मधुर वेला में प्रात 6 से 7 बजे तक प्रभात फेरी, हरिनाम संकीर्तन यात्रा,नित्य नियम प्रार्थना,संत महात्माओं के माध्यम से भजन संकीर्तन,आरती के पश्चात विशाल आम भंडारे का आयोजन किया गया।
संत मोनूराम महाराज ने बताया कि 15 दिवसीय कार्तिक महोत्सव में हजारों की संख्याओं में श्रद्धालुओ ने हरि नाम संकीर्तन में भाग लिया एवं नाम का स्मरण किया। संतो ने बताया कि सभी मासों में कार्तिक माह की महिमा अधिक है। मान्यता है कि 11 महीने के धार्मिक कार्यों का फल इस एक महीने यानि कार्तिक मास में प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया जिससे देवी- देवता बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने भगवान शिव की नगरी काशी में दीप दान कर खुशियां मनाई। कार्तिक पूर्णिम के दिन दीप दान का विशेष महत्व है। श्री अमरापुर स्थान पर भी साय काल के समय असंख्य दीप प्रज्वलित किए गए।