जयपुर। हमारा जीवन अनुशासन से चलता है। जीवन में कुछ भी काम करना होगा तो उसके लिए अनुशासन बहुत जरूरी होता है। यदि हम स्वयं अनुशासन में रहेंगे तो हीं हमारे घर का हर सदस्य अनुशासन में रहेंगा। हम अनुशासन में रहकर छोटे बड़ों को फॉलो करते हैं। अनुशासन से ही हम अपने व्यापार चला सकते हैं, अनुशासन से ही शरीर ठीक रख सकते हैं, अनुशासन से ही अपना परिवार व्यवस्थित रूप से चला सकते हैं।
हर चीज में सफलता के लिए अनुशासन बहुत जरूरी है। यह बात रविवार को प्रातः भवानी निकेतन परिसर सीकर रोड में आयोजित नया दृष्टिकोण वाले शिविर में सन टू ह्यूमन के प्रमुख परमालय जी ने कहीं। शिविर के अंतिम दिन परमालयजी ने मंच से परिसर में मौजूद हजारों लोगों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया और अनुशासन को जीवन में अपनाएं और घर, परिवार, समाज में अच्छा संदेश दे यह बात जोर देते हुए कहीं।
इस मौके पर संजय महेश्वरी अजय मित्तल, कमल सोमानी नरेंद्र बैद, राजेश नागपाल, राजेंद्र सिंह ‘गुरुजी’ और कमेटी सदस्यों ने परमालय जी का साफा और शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया।
शिविर में पहुंचे लोगों ने भी परमालय जी का साफा, दुपट्टा और माला पहना कर अभिनंदन किया। इस मौके पर उपस्थित साधकों में परमालय जी से मिलने के लिए उत्सुकता दिखी। सभी ने फिर से यहां गुलाबी शहर में शिविर के लिए विशेष आग्रह किया।
जो ऊर्जा से भर दे, ऐसा भोजन जरूरी
संजय महेश्वरी, आलोक तिजारिया, अजय मित्तल ने बताया इसके बाद अपने संबोधन में परमालय जी ने बताया कि हमारा भोजन मां के दूध जैसा ही होना चाहिए। जैसे मां का दूध पौष्टिक और पचने वाला होता है वैसा ही हमारा भोजन भी ऐसा होना चाहिए जो हमारे शरीर को ऊर्जा से भर दे और शीघ्रता से हजम हो जाए। जिसे हमारा शरीर पचा पाए और ब्रेन की ऊर्जा को बढ़ाएं।
उन्होंने नियमित रूप से सुबह के नाश्ते, दोपहर और शाम के भोजन के समय का सही निर्धारण करने के लिए भी बताया। इस वृहद आयोजन में बिल्ला परनामी, नरेश खुराना, गौरव अग्रवाल, जेपी माहेश्वरी, कमल खंडेलवाल, रीमा खंडेलवाल ने साधकों का मार्गदर्शन करते हुए सहयोग किया।
ऐसा होना चाहिए हमारा भोजन
शिविर के मीडिया प्रभारी राजेश नागपाल ने बताया भोजन के बारे में बताते हुए परमालयजी ने कहा कि सुबह सबसे पहले हम जो भी ब्रेकफास्ट करते हैं उसे ईमानदारी से करना चाहिए। सुबह का ब्रेकफास्ट पूरी तरह एल्कलाइन होना चाहिए। क्योंकि सुबह सूरज की किरणें बहुत तेज नहीं होती और दोपहर का भोजन स्ट्रांग एसिडक वाला होना चाहिए। उन्होंने बताया कि दोपहर में सूर्य की किरणें सबसे ज्यादा तेज होती है और वह स्ट्रांग एसिड और स्ट्रांग एल्कलाइन को पचा सकती है।
उन्होंने लार से जुड़े हुए सूत्रों को बताते हुए कहा कि जैसे दाल और चावल को साथ में नहीं खाना चाहिए, उनकी लार अलग-अलग होती है, वहीं शाम को पेय पदार्थ (रसों) का ही उपयोग करना चाहिए। नहीं तो हम फलों का उपयोग भी कर सकते हैं। फिर भी ज्यादा आवश्यकता हो तो लौकी से बने पदार्थ ले सकते हैं। क्योंकि शाम को सूर्यास्त का समय होता है और सूरज की किरणें कमजोर होती हैं। उन्होंने लार को मजबूत करने के सूत्र देते हुए कहा कि हमें दिन में सिर्फ 3 बार ही मुंह झूठा करना चाहिए। एक बार सुबह, एक बार दोपहर को और एक बार शाम को, तभी हम अपनी लार को पूरी तरह से मजबूत कर पाएंगे।
परम आलयजी ने बताया कि सूर्य हमारा परमपिता है और इसी से हम जीवित हैं। वही हमें ऑक्सीजन प्रदान करता है, अगर वह नहीं हो तो हम भी नहीं रहेंगे। इसलिए हमें सुबह सूर्य से पहले जगना चाहिए यह अनुशासन पूर्वक करने से व्यक्ति अपने जीवन को विकसित कर सकता है। राजेश नागपाल ने बताया उपस्थित हजारों लोगों ने पूरे भाव और उल्लास के साथ नृत्य किया झूमे नाचे और उसके बाद सभी ने अल्कलाइन नाश्ता किया।
आयोजन मंच से सभी साधकों को जयपुर शहर में आयोजित हो रहे शिविर के बारे में भी जानकारी दी। यहां शिविर विश्राम के बाद शहर के लोग सेंट्रल पार्क, पौंडिक उधान, जवाहर सर्किल, मानसरोवर, वैशाली नगर के नियमित शिविर में भाग ले सकेंगे।