जयपुर। आराध्य देव ठिकाना श्री गोविंद देवजी मंदिर में रविवार को देवउठनी एकादशी महोत्सव बड़े हर्षोल्लास और भक्ति भाव से मनाया गया। चातुर्मास के चार पवित्र महीनों की योगनिद्रा के बाद भगवान श्रीहरि विष्णु के जागरण के इस पर्व पर मंदिर परिसर में भोर से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
ब्रह्ममुहूर्त में मंदिर के प्रांगण में शंख, घंटा और घड़ियालों की मंगलध्वनि के साथ “उतिष्ठोतिष्ठ गोविंद, उतिष्ठ गरुड़ध्वज” मंत्रोच्चार के बीच ठाकुर श्रीजी का जागरण हुआ। महंत श्री अंजन कुमार गोस्वामी जी के सान्निध्य में वैदिक विधि से ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक और गुनगुने जल से स्नान कराया गया। मंगला झांकी के दौरान ठाकुर श्रीजी को लाल लप्पा जामा पोशाक धारण कराई गई तथा विशेष पुष्प श्रृंगार से सजाया गया।
अभिषेक पश्चात ठाकुर श्री सालिग्राम जी (नारायण जी) को चांदी की चौकी पर विराजमान कर मंदिर के दक्षिण-पश्चिम कोने में स्थित तुलसी मंच तक लाया गया। यहां उनका वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पंचामृत पूजन किया गया। इसके बाद तुलसी महारानी एवं श्री सालिग्राम जी की आरती और भोग अर्पण संपन्न हुआ। भक्तों ने दोनों की चार परिक्रमाएं कीं और मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना की। तत्पश्चात ठाकुर श्री सालिग्राम जी को चांदी के रथ में विराजमान कर मंदिर की परिक्रमा कराई गई और पुनः गर्भगृह में ठाकुर श्री गोविंद देवजी के समीप विराजमान किया गया।
सुबह से लेकर रात्रि की शयन झांकी तक मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। जय निवास उद्यान परिसर में भक्तों ने दीपदान किया, वहीं महिलाओं ने समूह में बैठकर एकादशी कथा सुनी और हरिनाम संकीर्तन किया। शहरभर से महिलाएं सजे समूहों में पहुंचीं। मंदिर परिसर और उद्यान में मेले जैसा उल्लासपूर्ण वातावरण बना रहा। बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालु भी एकादशी दर्शन करने पहुंचे।
श्रद्धालुओं ने बड़ी परिक्रमा करते हुए तुलसी, केला और कल्पवृक्ष के चारों ओर मौली लपेटकर परिक्रमा की। इस दौरान हरिनाम कीर्तन की गूंज ने संपूर्ण परिसर को भक्तिरस से भर दिया।
भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन और पुलिस ने विशेष दर्शन व्यवस्था की। दर्शनार्थियों के प्रवेश और निकास के लिए अलग-अलग मार्ग बनाए गए। मुख्य द्वार से प्रवेश कराया गया, जबकि जय निवास बाग से प्रवेश पूर्णत: निषेध रहा। मंदिर परिसर में जूता-चप्पल रखने की व्यवस्था नहीं की गई थी।
भक्तों की सुविधा के लिए दो अलग-अलग कतारें बनाई गईं — एक में जूते-चप्पल सहित, दूसरी में बिना जूते-चप्पल वाले भक्तों के लिए। मंगला दर्शन प्रातः 4 से 5:30 बजे तक, देवउठनी पूजन 6:15 बजे से, धूप दर्शन 7:30 से 9 बजे तक, श्रृंगार दर्शन 9:30 से 10:15 बजे तक, राजभोग दर्शन 10:45 से 11:45 बजे तक, ग्वाल झांकी शाम 4:30 से 5:15 बजे तक, संध्या झांकी 5:45 से 7:30 बजे तक और शयन झांकी रात 8 से 8:30 बजे तक हुई।
सबसे ज्यादा लोग मंगला और शयन झांकी में पहुंचे ठाकुर श्रीजी को विशेष सागरी लड्डू का भोग अर्पण किया गया। मंदिर में पुष्प और रजत अलंकरण से सुसज्जित झांकियों का भव्य श्रृंगार श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना रहा। मंदिर के सेवाधिकारी मानस गोस्वामी के निर्देशन में 200 से अधिक स्वयंसेवकों ने सुबह से रात्रि तक व्यवस्थाएं संभाली।
शहर के अन्य प्रमुख वैष्णव मंदिरों — गोपीनाथ जी (पुरानी बस्ती), राधा दामोदर जी (चौड़ा रास्ता), श्री सरस निकुंज (सुभाष चौक) और लाड़लीजी मंदिर (रामगंज बाजार) — में भी एकादशी उत्सव धूमधाम से मनाया गया। संध्याकाल में उदियात तिथि के अनुसार घर-घर तुलसी-शालिग्राम विवाह संपन्न हुआ। भक्तों ने तुलसी शालिग्राम का विवाह कर दीपदान किया।




















