जयपुर। निवारु रोड,झोटवाड़ा के शक्ति नगर में पिछले दिनों से चल रही श्रीमद् भागवत कथा में सोमवार को नंदोत्सव भक्तिभाव से मनाया गया। इस अवसर पर पूरे पांडाल को फूलों ,गुब्बारों और विभिन्न वृक्षों के पत्तों से आकर्षण तरीके से सजाया गया। नंदोत्सव में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
व्यासपीठ से वृंदावन धाम के सुधीर कृष्ण उपाध्याय महाराज ने कृष्ण जन्म की कथा से पूर्व राम जन्म की कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि राम मर्यादा और आदर्शों का दूसरा नाम है। आज जहां मर्यादाएं तार तार हो रही है, आदर्शों की पालना नहीं हो रही है ऐसे समय में प्रभु श्रीराम का जीवन एक उदाहरण है। जहां मर्यादा है वहां राम है। कृष्ण जन्म की कथा में उन्होंने कहा कि कृष्ण कूटनीति के गुरु है। वे धर्म की स्थापना के लिए दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार करने में नहीं चूकते। आज राम और कृष्ण दोनों की जरूरत है। हमें मर्यादा, आदर्श और कूटनीति तीनों की आवश्यक्ता है।
कृष्ण जन्म पर कथा पांडाल नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की…., कान्हा जन्म सुन आई यशोदा मैया दे दो बधाई…जैसे बधाईगान गूंजने लगे। नंदबाबा ने जैसे ही टोकरी में बाल कृष्ण को लेकर कथा पांडाल में प्रवेश किया तो श्रद्धालुओं ने जय श्री कृष्णा के जयकारे लगाए। बधाइयों पर फल, खिलौने, फल की जमकर उछाल हुई। लोगों ने नृत्य कर कान्हा जन्म की खुशियां मनाई। जड़ भरत चरित्र प्रसंग में उन्होंने कहा कि भगवान के भक्त सुख-दुख से समान व्यवहार करते हैं। यदि कुछ अच्छा हो जाए तो भगवान की कृपा समझते है और यदि कुछ बुरा हो जाता है तो भगवान की मर्जी समझ कर सहन कर लेता है।

आज भी घर आने को तैयार है कन्हैया:
सुधीर कृष्ण उपाध्याय महाराज ने कहा कि नंद वह है जो सबको आनंदित करें और यशोदा वह है जो सबको यश दे। अर्थात जो दूसरों को अपने कर्मों से आनंदित करे और यश-मान-सम्मान देते हैं उनके घर ही कृष्ण आते हैं। हमें अपनी भावनाओं को संकीर्ण नहीं उदार बनाना चाहिए। प्रारंभ में मनोज खंडेलवाल, अनिल खंडेलवाल, राजू खंडेलवाल, अमित शर्मा, उपेन्द्र शर्मा एवं अन्य ने व्यासपीठ का पूजन कर आरती उतारी।
आज सजेगी छप्पन भोग की झांकी:
मंगलवार को श्री कृष्ण की बाल लीलाएं और गोवर्धन पूजा का प्रसंग होगा। छप्पन भोग की झांकी सजाई जाएगी। 28 मई को महारास एवं कृष्ण-रुक्मणि विवाह की कथा होगी। गुरुवार 29 मई को सुदामा चरित्र, 24 गुरुओं की कथा, परीक्षित मोक्ष प्रसंग के साथ कथा का विश्राम होगा।